बच्चन फैमिली ने भूमि अधिग्रहण के नोटिस को उच्च न्यायलय में दी चुनौती

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bachchan family
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को अभिनेता अमिताभ बच्चन और जया बच्चन को निर्देश दिया कि वो बृहन्मुंबई नगर निगम को उनके बंगले “प्रतीक्षा” के एक हिस्से को उपनगरीय जुहू में अधिग्रहण करने के लिए जारी नोटिस के खिलाफ दायर करें. बच्चन परिवार ने इस हफ्ते की शुरुआत में नगर निकाय के जरिए उन्हें जारी किए गए नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था. जस्टिस आरडी धानुका और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ ने उन्हें दो हफ्ते के भीतर बीएमसी को एक रीप्रेजेंटेशन दाखिल करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि, “एक बार रीप्रेजेंटेशन दायर करने के बाद, बीएमसी छह हफ्ते बाद सुनवाई करेगी और फैसला करेगी. एक बार फैसला लेने के बाद, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ तीन हफ्ते तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.”

कोर्ट ने आगे कहा कि, जरूरत पड़ने पर बच्चन परिवार के वकीलों की भी व्यक्तिगत सुनवाई की जा सकती है. याचिका में बीएमसी के नोटिस को रद्द करने और नगर निकाय को भूमि अधिग्रहण की दिशा में कोई कार्रवाई करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की गई थी.

बच्चन परिवार को 20 अप्रैल, 2017 को दो नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें कहा गया था कि उनकी आवासीय संपत्ति के पास के जमीन के कुछ हिस्से गली की नियमित लाइन के भीतर हैं और बीएमसी का इरादा दीवार और कंस्ट्रक्शन के साथ ऐसी जमीन पर कब्जा करने का है. बच्चन परिवार ने अपने प्रतिनिधियों को बीएमसी कार्यालय में उपस्थित होने और नोटिस के बारे में पूछताछ करने और नागरिक अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा करने के लिए प्रतिनियुक्त किया.

उन्होंने बीएमसी अधिकारियों को बताया कि जमीन के जगह के विपरीत दिशा में सड़क को चौड़ा करना नागरिक निकाय के लिए आसान होगा. याचिका में कहा गया है कि चार साल नौ महीने की अवधि के लिए, 28 जनवरी, 2022 तक, बीएमसी के जरिए नोटिस को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. इस बीच, याचिकाकर्ताओं ने मान लिया कि जारी किए गए नोटिस को हटा दिया गया था और इसलिए कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं की गई थी.

28 जनवरी, 2022 को, कुछ बीएमसी अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं को मौखिक रूप से सूचित किया कि उन्होंने नोटिसों को लागू करने का प्रस्ताव रखा है और जल्द ही नोटिस में निर्धारित जमीन के एक हिस्से पर कब्जा कर लेंगे. याचिका में कहा गया है कि नोटिस जमीन पर मौजूद बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को ध्यान में नहीं रखते हैं, जिन्हें एमएमसी अधिनियम के मुताबिक ध्वस्त नहीं किया जा सकता है. याचिका में दावा किया गया है कि बीएमसी ने सड़क के एक ही तरफ के जमीन के दूसरे धारकों को कोई नोटिस जारी नहीं किया है और कार्रवाई में असमानता दिखाते हुए सड़क के विस्तार को चौड़ा करने के लिए उनके जरिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.