योगी आदित्यनाथ बोलें- भारत के खिलाफ गंदा बोलने वाले बिकाऊ लोग, चंद पैसों के लिए बेचते हैं अपनी आत्मा

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में रामायण विश्व महाकोश के प्रथम संस्करण (कर्टेन रेजर वॉल्यूम) का विमोचन एवं कार्यशाला का उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के प्रेक्षागृह में इस अवसर पर उन्होंने रामायण तथा महाभारत की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सब इस बारे में जानते हैं कि भारत आज जिस रूप में है, उसकी सीमाएं उत्तर से दक्षिण तक अगर आज भी उस रूप में बनी हैं तो उसका श्रेय भगवान राम को जाता है। सांस्कृतिक रूप से उत्तर और दक्षिण के बीच खाई को पाटने का काम भगवान राम ने किया। भारत गणराज्य सांस्कृतिक भारत की ठोस आधारशिला पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि मलेशिया में लोग कहते हैं हो सकता है हमने किन्हीं परिस्थितियों में इस्लाम कबूल किया पर हमारे पूर्वज तो राम ही हैं। आप पश्चिम में आइए, जो तक्षशिला है, वो भरत के पुत्र के नाम पर है। हमने इसे विस्मृत कर दिया।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की सनातन हिन्दू धर्म परम्परा के अनुसार जिन सात नगरों को हम सप्तपुरियों के रूप में जानते हैं। उसमें से तीन अयोध्या, मथुरा, काशी तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। सनातन हिन्दू धर्म की आत्मा उत्तर प्रदेश में निवास करती है।रामायण विश्वकोश तैयार करना हमारे लिए गौरव की बात है। यहअभियान भगवान राम के बारे में बहुत सारी जानकारियां देगा। बीते चार वर्ष चार वर्ष के दौरान तमाम देशों की रामलीलाओं का मंचन अयोध्या में हुआ। उन्हेंं भारत के बारे में जानकारी हो या ना हो राम के बारे में है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में पूरब से पश्चिम तक विस्तार के बारे में आज भी हमें धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से समझने को मिलता है। रामायण विश्वकोश के कर्टन रेजर पुस्तक के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा कि कंबोडिया के अंकोरवाट के मंदिर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु का मंदिर है। वहां की आय का मुख्य जरिया अंकोरवाट मंदिर बनता है। मैं वहां गया, एक दृश्य देख रहा था तभी गाइड आया। उसने कहा मैं आपको इसके बारे में बताऊं। मैंने पूछा कि बताओ यह कौन हैं। गाइड ने कहा, यह गॉड मंकी हैं और लंका को जलाने के दृश्य को बताने लगा। मैंने पूछा, आप हिंदू हैं, आप इनको जानते हैं। उसने कहा कि मैं बौद्ध हूं। बौद्ध हिंदू से ही आया है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने विष्णु के अवतार होने के बाद भी मानवीय मूल्यों को नहीं छोड़ा। वह सामान्य मनुष्य के सभी कष्टों को सहन करते हुए आगे बढ़े।