रूस और Ukraine के बीच युद्ध से दुनिया इतनी बदली नजर आएगी, ये किसी ने नहीं सोचा था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस पर प्रतिबंध और बातचीत के जरिए दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वह तत्काल सैन्य कार्रवाई रोक दे. पर ऐसा होता दिख तो नहीं रहा है…
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव रखा जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की “आक्रामकता” की निंदा की गई और पड़ोसी देश से रूसी सेना की “तत्काल, पूर्ण और बिना शर्त” वापसी की मांग की गई .
इस प्रस्ताव पर रूस ने अपने वीटो का इस्तेमाल करके इसे पारित नहीं होने दिया.
11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. वे देश जिन्होंने प्रस्ताव का समर्थन किया वे थे अमेरिका, यूके, फ्रांस, नॉर्वे, आयरलैंड, अल्बानिया, गैबोनी, मेक्सिको, ब्राजील, घाना, और केन्या.
तीन देशो ने वोटिंग से abstain किया यानी अनुपस्थित रहे. वो थे UAE,चीन और भारत.
रूस ने जिस वीटो पॉवर का इस्तेमाल किया वो संयुक्त राष्ट्र के परमानेंट मेम्बेर्स को मिलती है.
रूस के खिलाफ क्यूँ वोट नहीं किया भारत ने ?
यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की निंदा वाले प्रस्ताव पर भारत ने मतदान नहीं करके बीच का कोई रास्ता निकालने का विकल्प खुला रखा है.विशेषज्ञों का कहना है कि भारत यूक्रेन में हुए हालिया घटनाक्रम से बेहद चिंतित है और वह मतभेदों का एकमात्र हल बातचीत के जरिए संभव है. सूत्रों ने बताया कि भारत ने देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही, साथ ही हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की मांग की, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत में मोदी ने पुतिन से कहा था.
वोटिंग से दूर रहने के पीछे भारत की कूटनीति का हिस्सा है। रूस और अमेरिका से बेहतर संबंध को देखते हुए भारत चाहे तो मॉस्को और वाशिंगटन और बातचीत के लिए एक जगह बैठा सकता है। इसके साथ ही भारत सीधे-सीधे किसी एक पक्ष को यूक्रेन मसले पर सपोर्ट करने से बचता रहा है क्योंकि भारत के दोनों पक्षों से बेहतर संबंध हैं।
अब देखना यह होगा की भारत की यह diplomacy विपक्ष को और अंतराष्टीय लेवल पर Ukraine का समर्थन कर रहे देशो को कितना रास आती हैं.