Russia के समर्थन में China का USA पर हमला, कहा- कभी न भूलें दुन‍िया के ल‍िए असली विलन कौन है

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    china supports russia
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    यूक्रेन और रूस के बीच इस समय युद्ध जारी है. इस बीच भारत के पड़ोसी देश चीन ने रूस के समर्थन में अमेरिका पर बड़ा हमला बोला है और उसके अन्‍य देशों पर किए गए हमलों का इत‍िहास बताया है. चीन दूतावास ने 1950 के बाद से दुनिया में लड़े गए भीषण युद्धों की लिस्ट के साथ रिट्वीट करते हुए कहा कि यह कभी न भूलें कि दुनिया के लिए असली खतरा कौन है. चीनी दूतावास ने कहा है कि इतिहास को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. यह ट्वीट चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया है. इस ल‍िस्‍ट में 20 से अधिक देश शामिल हैं, जो दुन‍िया की लगभग एक तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

    चीन ने इस फेहरिस्‍त के जर‍िए यह बताने की कोश‍िश की है कि दुन‍िया का असली दुश्‍मन रूस नहीं, बल्‍कि अमेर‍िका है. कोरोना काल में भी चीन की तरफ से अमेर‍िका पर कई बार न‍िशाना साधा गया था. ऐसा पहली बार नहीं है, जब चीन रूस के साथ खड़ा होता नजर आ रहा है. इससे पहले उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की यूक्रेन पर हमले की निंदा और यूक्रेन से रूसी सेना की तत्काल और बिना शर्त वापसी की मांग को लेकर वोटिंग में भी ह‍िस्‍सा नहीं ल‍िया था.

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को एक टेलीविजन संबोधन में कहा था कि डोनबास गणराज्यों के प्रमुखों के अनुरोध के जवाब में उन्होंने दुर्व्यवहार से पीड़ित लोगों की रक्षा के लिए एक विशेष सैन्य अभियान चलाने का निर्णय लिया था. रूसी नेता ने जोर देकर कहा कि मॉस्को की यूक्रेनी क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोई योजना नहीं है. घोषणा के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और कुछ अन्य देशों ने घोषणा की कि वे रूसी अधिकारियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.

    रूस ने यूक्रेन पर सभी दिशाओं से हमला बढ़ा दिया है. रूसी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि राजधानी कीव की ओर से बेलारूस में बातचीत करने से इनकार करने के बाद हमले को व्यापक बनाने का निर्देश जारी किया गया है. यूक्रेन ने कहा कि कीव के लिए असली लड़ाई जारी रहेगी वो रूस के अल्टीमेटम या अस्वीकार्य शर्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.

    यूक्रेन पर रूसी हमले के जवाब में, अमेरिका, ब्रिटेन, 27-राष्ट्रों के यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी सहयोगियों ने रूसी बैंकों, अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा या वादा किया है, साथ ही रूस के उद्योगों और उच्च स्तर की सेना को जरूरी चीजों की पूर्ति से वंचित रखने के उद्देश्य से निर्यात नियंत्रण का भी निर्णय किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि शी जिनपिंग की सरकार इन सीमाओं के भीतर पुतिन को मदद कर सकती है. चीनी कंपनियां इस स्थिति का इस्तेमाल बेहतर सौदे के रूप में भुनाने के लिए कर सकती हैं, लेकिन खुले तौर पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और खुद के लिए दंडित किये जाने वाले कदमों से बचेगी.