वाराणसी में गंगा का रौद्र रूप, पिछले 2 दिनों से रिहायशी इलाको में सैकड़ो परिवारों का पलायन जारी, सड़को पर वाहन के साथ-साथ अब नांव भी उतरे

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धर्मनगरी वाराणसी में लगातार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है. एक से दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उतार-चढ़ाव है, लेकिन बढ़ाव जारी है. हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि जिन इलाकों में गंगा का पानी कभी नहीं पहुंच सका, अब वह इलाके भी बाढ़ की चपेट में आने लगे हैं. मंगलवार रात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर तक सामने घाट से होते हुए गंगा का पानी पहुंच गया है. रामनगर पुल से बीएचयू ट्रामा सेंटर तक जाने वाली सड़क लबालब है. सामने घाट जाने वाली सड़क पूरी तरीके से गंगा में डूब गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में अचानक गंगा ने यह रौद्र रूप धारण किया है, जबकि अगले दो दिन बारिश की उम्मीद जताई जा रही है. यानी मुश्किलें और बढ़ेगी.

इस सड़क पर भारी वाहन, कार, ऑटो बड़ी संख्या में चलते हैं, ऐसे में जो भी लोग सुबह यहां पहुंचे वह इस नजारे को देखकर हैरान रह गए. पानी में डूबने से कईयों की मोटरसाइकिल बंद हो गई तो कई ऑटो वालों को खुद ही धक्का लगाना पड़ा. आलम यह है कि इसी सड़क पर अब ट्रक, कार, ऑटो और बाइक के साथ नाव भी उतर आई है.

सामने घाट निवासी प्रेम प्रधान की माने तो साल 2013 में कुछ ऐसा ही नजारा था, लेकिन इस बार गंगा  यहां तक पहुंच गयी. गंगा का जलस्तर इस हद तक सड़क पर पहुंच गया, यह पहली बार हुआ है. ऐसे में अभी बढ़ाव जारी है तो मुश्किलें बढ़ने की आशंका है. लोगों का कहना है लगातार सड़क पर गंगा का जलस्तर बढ़ने से न केवल वाहनों को परेशानी हैं बल्कि अब यहां रहने वाले लोग भी घरों में कैद हो गए हैं. बुधवार सुबह सात बजे तक गंगा का जलस्तर 72.01 मीटर दर्ज किया गया, अभी भी गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रहीं हैं.

वाराणसी के रिहायसी इलाको में सैकड़ो परिवार अब तक पलायन कर चुके है और यह सिलसिला पिछले 2 दिनों से जारी है. लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम लगातार गश्त कर रही है और जो कोई भी उनसे मदद मांग रहा उसे मदद पहुंचा रही है. बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों को निकाल सुरक्षित स्थान पहुंचाने से लेकर पानी की बोतल तक एनडीआरएफ की टीम मुहैया करा रही है.

बता दें कि वाराणसी में गंगा खतरे के निशान को पार करते हुए इस वक्त 72 मीटर तक जा चुकी हैं. मतलब खतरे के निशान से लगभ एक मीटर ऊपर गंगा का जलस्तर पहुंच चुका है. जिसके कारण गंगा अब शहर में प्रवेश कर चुकी हैं.