‘यूपी फिल्म सिटी में बने लता मंगेशकर स्टूडियो’, थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन की सरकार से मांग

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TAFWA demads for Lata Studio in UP Film City

थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से मांग करते हुए लिखा पत्र, यूपी फिल्म सिटी में लता मंगेशकर के नाम से एक स्टूडियो विकसित किया जाए। असोसिएशन के सचिव दबीर सिद्दीकी ने इसके साथ ही स्वर कोकिला को नमन करते हुए कहा कि भातखंडे संगीत संस्थान लखनऊ डीम्ड विश्वविद्यालय में सिनेमा संगीत प्रशिक्षण के लिए लता मंगेशकर के नाम से शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया जाए।
 
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने किया है कई फिल्मों में अभिनय
उपसचिव पद पर नीशू त्यागी ने बताया कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने रविवार की सुबह 92वें वर्ष में अंतिम सांस ली। बीते जनवरी महीने से वह कोविड संक्रमित होने के बाद से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उपचार ले रहीं थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत रत्न लता मंगेशकर ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया था। दरअसल लता मंगेशकर के पिता पं.दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के लोकप्रिय कलाकार थे। उन्होंने ही लता मंगेशकर को सारेगामा के संस्कार दिये थे। लता मंगेशकर की अभिनय में रंचमात्र भी रुचि नहीं थी पर पिता दीनानाथ मंगेशकर’ की असामयिक मृत्यु की कारण उन्हें धनार्जन के लिए हिन्दी और मराठी फिल्मों में अभिनय करना पड़ा था। उन्होंने सबसे पहले साल 1942 में मराठी फिल्म “पाहिली मंगलागौर” में स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी। उसके बाद उन्होंने अगले साल माझे बाल और चिमुकला संसार में अभियनय किया। इस क्रम को जारी रखते हुए उन्होंने साल 1944 में गजभाऊ और 1945 में “बड़ी माँ” में अभिनेत्री के रूप में उपस्थिति दर्ज करवायी थी। “बड़ी माँ” फिल्म में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसकी छोटी बहन की भूमिका आशा भोंसले ने अदा की थी। लता मंगेशकर ने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन तक किया था। इस क्रम में साल 1946 में जीवन यात्रा, 1948 में माँद, 1952 में छत्रपति शिवाजी में भी अभिनय किया था।
 
संगीत को साधना मानकर हमेशा नंगे पैर ही किया गायन
दबीर सिद्दीकी ने बताया कि लता मंगेशकर ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं। लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मों का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है। वह संगीत को रोजगार के बजाए साधना का मार्ग मानती थी इसलिए उन्होंने हमेशा नंगे पांव ही गाने गाए हैं। उनके लिए देश ही नहीं विदेशों तक में चाहने वाले हैं। इसलिए रविवार को सब की आंखे नम हो गई। उन्होंने कहा कि जल्द ही थिएटर एंड फिल्म वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से स्मृति संध्या का आयोजन किया जाएगा।