कोरोना को लेकर योगी सरकार ने दिखाई सख्ती – उत्तर प्रदेश में नए दिशा-निर्देश जारी, एक मरीज पर 25 मीटर क्षेत्र होगा कंटेनमेंट जोन

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कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते देख शासन ने फिर से कमर कस ली है। गंभीरता से निगरानी के लिए कंटेनमेंट जोन के निर्धारण सहित पूरी रूपरेखा तैयार कर जिलों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। तय हुआ है कि किसी भी क्षेत्र में एक केस पाए जाने पर उस मरीज के घर को केंद्र मानते हुए 25 मीटर, जबकि एक से अधिक संक्रमित पाए जाने पर पचास मीटर की परिधि को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाएगा। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए निगरानी के संबंध में रविवार को मुख्य सचिव आरके तिवारी ने निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि कोरोना संक्रमण फिर से बढ़ रहा है। अब यह आवश्यक हो गया है कि संक्रमित रोगियों, उनके संपर्क में आने वाले लोगों की गहन निगरानी की जाए। जिला सॢवलांस अधिकारी प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी को उपलब्ध कराएंगे। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी कंटेनमेंट जोन में सॢवलांस की गतिविधियों के लिए नोडल अधिकारी होंगे।

कंटेनमेंट जोन के निर्धारण के संबंध में तय हुआ है कि प्रत्येक केस को केंद्र मानते हुए 25 मीटर परिधि को और एक से अधिक मामलों के लिए 50 मीटर की परिधि को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा। प्रदेश के वर्तमान औसत जनसंख्या घनत्व के अनुसार 25 मीटर की परिधि में लगभग 20 घर होंगे और 50 मीटर में लगभग 60 घर आएंगे। कोविड के एक-एक केस वाले दो कंटेनमेंट जोन में एक टीम लगाई जाएगी। एक क्षेत्र में एक से अधिक केस होने पर क्लस्टर मानते हुए क्लस्टर के बीच के बिंदु को एपीसेंटर चिह्नित कर 50 मीटर की परिधि को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा।

बहुमंजिला भवनों के लिए अलग व्यवस्था : किसी बहुमंजिला भवन में एक संक्रमित मिलने पर उस तल को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा, जिस पर संक्रमित व्यक्ति का आवास हो। एक से अधिक केस मिलने पर संबंधित टावर को कंटेनमेंट जोन के रूप में चिह्नित किया जाएग। ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सलाह के अनुसार जरूरी निर्णय ले सकता है।

ये होगी निगरानी की व्यवस्था

कंटेनमेंट जोन में चिह्नित संभावित रोगी का 24 घंटे में सैंपल लेना अनिवार्य होगा।
प्रत्येक टीम में स्वास्थ्य विभाग, शहरी क्षेत्र में स्थानीय निकाय, ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम विकास या पंचायतीराज और स्थानीय प्रशासन से एक मिलाकर कुल तीन सदस्य होंगे।
हर टीम के सदस्य अपने क्षेत्र में घर-घर जाएंगे। खांसी, जुकाम, बुखार, सांस लेने में परेशानी आदि लक्षण वाले रोगियों को चिह्नित कर ऐसे रोगियों का नाम, पूरा पता, मोबाइल नंबर और लक्षणों का विवरण लेंगे।
प्रत्येक पांच टीमों पर एक सुपरवाइजर बनाया जाएगा, जो कि अपने अधीन पांचों टीम का काम समाप्त होने के बाद सभी सूचनाओं का संकलन कर जिला सॢवलांस अधिकारी को उपलब्ध कराएगा। वह जिले की सूचना इकट्ठी कर राज्य मुख्यालय को भेजेंगे।
पूर्व में यदि एक केस पाए जाने पर कोई भी कंटेनमेंट जोन बनाया गया है और उसी क्षेत्र में फिर एक या अधिक केस मिलते हैं तो उसे क्लस्टर माना जाएगा।
अंतिम पॉजिटिव केस का सैंपल लेने की तिथि से 14 दिन तक संबंधित क्षेत्र कंटेनमेंट जोन रहेगा। उसके बाद केस न मिलने पर क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन की सूची से निकाल दिया जाएगा।