Shershaah Review: मिडिल क्लास परिवार के जांबाज़ बेटे की कहानी-कैप्टन विक्रम बत्रा की जांबाजी देखकर सेना में जाने को हो उठेंगे बेताब

593

फिल्म – शेरशाह
स्टारकास्ट – सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी
स्टार्स – 4
कहां देखें – एमेजॉन प्राइम
हमारे देश की सेना हमेशा शांति के लिए काम करती है और उस शांति की रक्षा के लिए फिर वो क्या कर सकती है? इस सवाल का जवाब अगर किसी के भी दिल में थोड़ा धुंधला सा है तो फिल्म शेरशाह देखकर हमेशा के लिए उसके मन में साफ हो जाएगा. कैप्टन विक्रम बत्रा के रोल में सिद्धार्थ मल्होत्रा आपको हिमाचल के पालमपुर से कारगिल की टाइगर हिल पर ले जाएंगे. उनकी जांबाजी का जोश देखकर आपके दिल में एक बार तो ये विचार जरूर आएगा कि जंग में काश एक बार के लिए ही सही मुझे उनके साथ जरूर होना चाहिए था.

शेरशाह की कहानी
अगर आप फिल्मों में थोड़ी भी रुचि रखते हैं तो शेरशाह की कहानी एक लाइन में आपको जरूर पता चल चुकी होगी कि ये कारगिल में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा की बायोपिक है जिन्होंने टाइगर हिल से पाकिस्तान के कायर सैनिकों को पीठ दिखाकर भागने के लिए मजबूर कर दिया और पाकिस्तान के झंडे को अपने पैरों तले रौंदकर हिल पर भारत का तिरंगा फिर से लहरा दिया.

उनके बचपन से लेकर आखिरी सांस तक के सफर में उनके साथ जीने का मौका फिल्म शेरशाह आपको देने वाली है. 2 घंटे 15 मिनट की इस फिल्म में कैप्टन की कहानी आपके दिल पर इतनी गहरी छाप छोड़ देगी कि आप जिंदगी भर उनकी यादों अपने मन से भुला नहीं सकेंगे.

मजबूत इरादे – मर मिटने के वादे
फिल्म में दिखाया गया है कि कैप्टन विक्रम बत्रा बचपन से ही जिस चीज को चाह लेते थे उसे जीतकर ही दम लेते थे चाहे वो छोटी से बॉल हो या फिर सेना में लेफ्टिनेंट की नौकरी. कॉलेज में डिंपल चीमा नाम की एक लड़की पर उनका दिल आ जाता है. डिंपल का रोल कियारा आडवाणी ने निभाया है. विक्रम डिंपल के साथ शादी करने का फैसला करते हैं. कॉलेज के साथ के लड़के से शादी पर डिंपल के पिता थोड़ी सख्ती दिखाते हैं तो विक्रम ठान लेते हैं कि आर्मी में जाकर पहले वो अपना करियर बनाएंगे, बाद में डिंपल को अपना बनाएंगे.

जाबांजी का जुनून
विक्रम को पहली पोस्टिंग कश्मीर में मिलती है और वो सेना की डेल्टा कंपनी के लेफ्टिनेंट के तौर पर अपने ऑपरेशन्स को अंजाम देते हैं. अपने व्यवहार से वो कश्मीर के स्थानिय लोगों के दिलों में भी जगह बना लेते हैं और धीरे-धीरे अपनी यूनिट के सबसे जांबाज अफसर बन जाते हैं. अपनी शादी की बात करने वो छुट्टी पर घर आए हैं तो टीवी पर खबर आती है कारगिल की सबसे ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है. घुसपैठ का पता लगाने गए कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी फौज ने अगवा कर लिया और उनके शव के साथ हैवानियत करके उसे सेना को जब वापस किया तो विक्रम बत्रा शादी-ब्याह सब भूल गए और दिल में याद रहा सौरभ कालिया की शहादत का बदला.

टाइगर हिल पर असली टाइगर
सबसे पहले उन्हें पॉइंट 5140 को पाकिस्तान से अपने कब्जे में वापस लेने का टास्क दिया जाता है. जिसे कैप्टन बहुत ही जांबाजी से लड़ते हुए फिर से भारत के नियंत्रण में ले लेते हैं. उसके बाद पॉइंट 4875 जिसे टाइगर हिल का कोड दिया गया था उस पर कब्जे के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा खुद कब्जा करने की जिम्मेदारी लेते हैं और फिर अपनी टीम के साथ मजबूत जगह पर जमे पाकिस्तानी सैनिकों के पैर उखाड़ देते हैं. इस पर कब्जे के लिए उन्हें सामने से हमला करना होता है और अपने साथी सैनिकों को बचाने के लिए वो दुश्मन की गोलियों का शिकार हो जाते हैं. लेकिन उनकी आखिरी सांस तब ही निकलती है जब तो ये देख लेते हैं उनकी टीम ने वापस टाइगर हिल पर तिरंगा लहरा दिया है.

निगेटिव पॉइंट्स को करें नजरअंदाज
शेरशाह का सबसे मजबूत हिस्सा इस फिल्म में कैप्टन विक्रम बत्रा की जांबाजी की कहानी है. इसलिए हमने इसे फिल्म की तरह रिव्यू नहीं किया. विक्रम बत्रा की कहानी के आगे इस फिल्म के सभी छोटी-मोटी निगेटिव बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है. ऐसे में हम आपसे ये ही कहेंगे कि सेना की जांबाजी पर बनी इस फिल्म को देखने के बाद आपके दिल में कैप्टन विक्रम बत्रा का सबसे पसंदीदा स्लोगन ही याद आने वाला है और वो है ये दिल मांगे मोर…