मोहन भागवत बोले – स्वतंत्रता के बाद से ही सावरकर को बदनाम किया जा रहा, अगला निशाना स्वामी विवेकानंद हो सकते हैं

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Mohan-Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव होने का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही उन्हें बदनाम करने की मुहिम चली है और अब अगला लक्ष्य स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद हो सकते हैं.

मोहन भागवत ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ”वीर सावरकर हु कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन” का विमोचन करते हुए यह बात कही. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने वीर सावरकर पर पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कहा, सावरकर जी का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया, हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा. सावरकर जी ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा.

सब जोर से बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता
मोहन भागवत ने कहा, इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थिति को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता.

सावरकर को बदनाम करने की मुहिम स्वतंत्रता के बाद खूब चली
सरसंघचालक भागवत ने कहा, ”भारत में आज के समय में सावरकर के बारे में वास्तव में सही जानकारी का अभाव है. यह एक समस्या है. सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई. यह स्वतंत्रता के बाद खूब चली. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सावरकर सामने थे. भारत को जोड़ने से जिनकी दुकान बंद हो जाएंगी, उन्हें यह अच्छा नहीं लगता था.

अगला निशाना स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि अब इसके बाद अगला लक्ष्य स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद को बदनाम करने का हो सकता है, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे.

हमारी पूजा विधि अलग- अलग है, लेकिन पूर्वज एक हैं, हम अपनी मातृभूमि तो नहीं बदल सकते
मोहन भागवत ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हिंदू और मुसलमान एक साथ थे, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बांटने का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग- अलग है, लेकिन पूर्वज एक हैं. हम अपनी मातृभूमि तो नहीं बदल सकते. उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वालों को वहां प्रतिष्ठा नहीं मिली.

वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे
सरसंघचालक ने कहा कि हमारी विरासत एक है, जिसके कारण ही हम सभी मिलकर रहते हैं, वहीं हिंदुत्व है तथा हिंदुत्व एक ही है जो सनातन है. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे तथा तर्क एवं प्रत्यक्ष प्रमाण के आधार पर बात करते थे.

‘प्रजातंत्र में राजनीतिक विचारधारा के अनेक प्रवाह में मतभिन्नता भी स्वाभाविक
भागवत ने कहा, ”प्रजातंत्र में राजनीतिक विचारधारा के अनेक प्रवाह होते हैं, ऐसे में मतभिन्नता भी स्वाभाविक है, लेकिन अलग अलग मत होने के बाद भी एकसाथ चलें, यह महत्वपूर्ण है. विविध होना सृष्टि का श्रृंगार है. यह हमारी राष्ट्रीयता का मूल तत्व है.

देश में बहुत राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं, जिनके नाम गूंजने चाहिए
सरसंघचालक ने कहा कि जिनको यह पता नहीं है, ऐसे छोटी बुद्धि वाले ही सावरकर को बदनाम करने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा विचार सभी के लिये शुभेच्छा और किसी का तुष्टिकारण नहीं है, कोई अल्पसंख्यक नहीं बल्कि सभी के अधिकार एवं कर्तव्य समान हैं. भागवत ने कहा कि देश में बहुत राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं, जिनके नाम गूंजने चाहिए.