पाकिस्तान ने नागरिकता को बेचना किया शुरू, अमीर विदेशियों को फंसाने की तैयारी

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पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज के कारण देश की राजनीति में उथल पुथल देखने को मिल रही है. प्रधानमंत्री इमरान खान की पहले सेना के साथ और फिर रक्षा मंत्री के साथ बहस हो गई. लेकिन अब पाकिस्तान पैसे कमाने के लिए दूसरे तरीके अपना रहा है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने विदेशी नागरिकों के लिए स्थायी निवास योजना को मंजूरी देने का फैसला लिया है. इसे रियल एस्टेट सेक्टर में विदेशियों द्वारा किए जाने वाले निवेश से जोड़ा गया है.

पाकिस्तान की पहली सुरक्षा नीति के अनुसार, फवाद चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान ने जियो इकोनॉमिक्स को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत के मूल के रूप में घोषित किया है. यही वजह है कि नई नीति के तहत विदेशी लोग निवेश के बदले यहां स्थायी निवासी का दर्जा हासिल कर सकते हैं. पाकिस्तान की समाचार वेबसाइट ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि तुर्की के नक्शे कदम पर चलते हुए तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने विदेशी नागरिकों के लिए स्थायी निवास योजना की सुविधा शुरू करने का फैसला लिया है.

इसके लिए आवेदकों को रियल एस्टेट सेक्टर में 100,000 डॉलर (करीब 74 लाख रुपये) से लेकर 300,000 डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपये) तक का निवेश करना होगा. फवाद चौधरी ने इस फैसले के पीछे छिपे सरकार के मकसद के बारे में भी बताया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्री ने कहा कि विदेशियों के लिए पीआर योजना शुरू करने का एक उद्देश्य अमीर अफगानों को आकर्षित करना है (Pakistan Real Estate Sector). उन्हें बीते साल अगस्त में तालिबान के लौटने के कारण तुर्की, मलेशिया और अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पाकिस्तान की सरकार ने इसी तरह के लोगों को आकर्षित करने के लिए ये योजना शुरू की है.