लॉकडाउन के कारण देश के तेल (पेट्रोल-डीजल) खपत में 2020-21 के दौरान 9.1 फीसदी की बड़ी गिरावट रही। 1989-99 के बाद यानी 21 वर्षों में पहली बार तेल की सालाना खपत घटी है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के शुक्रवार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 19.46 करोड़ टन रही थी। 2019-22 के दौरान यह आंकड़ा 21.41 करोड़ टन रहा था।
इस दौरान डीजल की खपत 12 फीसदी घटकर 7.27 करोड़ टन और पेट्रोल की 6.7 फीसदी गिरकर 2.79 करोड़ टन रही। विमान ईंधन की खपत 53.6 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ 37 लाख टन रह गई, जबकि नाफ्था की बिक्री 1.42 करोड़ टन के साथ एक साल पहले के बराबर रही।
मंत्रालय के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण पिछले साल अप्रैल में तेल खपत आधी रह गई थी। हालांकि, पाबंदियों में ढील के बाद खपत में सुधार देखने को मिला। सितंबर, 2020 में पेट्रोल खपत कोविड-19 पूर्व स्तर पर पहुंच गई थी। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मार्च में पेट्रोल की मांग में 25.7 फीसदी और डीजल में 27 फीसदी तेजी रही।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरेलू एलपीजी ही आम जरूरत का ऐसा पेट्रोलियम उत्पाद रहा, जिसकी खपत में वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान इसकी खपत 4.7 फीसदी बढ़कर 2.76 करोड़ टन तक पहुंच गई। 2019- 20 के दौरान एलपीजी खपत 2.63 करोड़ टन रही थी। गरीब परिवारों को मुफ्त सिलिंडर दिए जाने से घरेलू एलपीजी की खपत बढ़ी है।
इसके अलावा, सड़क निर्माण तेज होने से अलकतरा की बिक्री भी इस दौरान 6 फीसदी वृद्धि के साथ 71.1 लाख टन पर पर पहुंच गई।