देश में खुदरा महंगाई दर मार्च में ही 4 महीने के उच्च स्तर पर जा सकती है, निकल जाएगी आरबीआई के अनुमान से पार

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RBI Bank
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खुदरा महंगाई की दर मार्च में ही आरबीआई के अनुमान से पार निकल जाएगी। अर्थशास्त्रियों पर सर्वे के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की महंगाई बढ़ाने में बड़ी भूमिका रही है। आगे भी हालात ऐसे ही बने रहने के अनुमान हैं और मार्च में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 5.40 फीसदी पर पहुंच सकती है, जो चार महीने का उच्च स्तर होगा।

इस साल फरवरी में यह दर 5.03 फीसदी थी। इससे पहले हाल ही में आरबीआई ने मार्च तिमाही के लिए खुदरा महंगाई की दर को घटाकर पांच फीसदी कर दिया है।

सर्वे में कहा गया है कि 2021-22 के दौरान महंगाई 4.60 से 6.11 फीसदी के दायरे में रहेगी, जबकि केंद्रीय बैंक ने 4.4 से 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। रॉयटर्स का यह सर्वे 50 अर्थशास्त्रियों से बातचीत पर आधारित है, जो इस साल 5 से 8 अप्रैल के बीच किया गया। 

स्कोटिया बैंक की अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) टुली मैकुली का कहना है कि कोर महंगाई कुछ समय से बढ़ रही है, जबकि खुदरा महंगाई में इजाफा खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से हुआ है। यह वृद्धि एक अस्थायी घटना होगी।

हालांकि, आगे महंगाई के परिदृश्य पर जोखिम बना हुआ है। उधर, आरबीआई ने 2021-22 की पहली छमाही के लिए महंगाई दर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जो उसके 2 से 6 फीसदी के लक्ष्य के दायरे में है। वहीं, आईएनजी एशिया के वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रकाश सकपाल का कहना है कि लॉकडाउन लगने के डर से लोग खरीदारी कर रहे हैं, जिससे महंगाई बढ़ने का जोखिम है।  

सकपाल का कहना है कि संक्रमण बढ़ने से देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। बढ़ रही महंगाई को देखते हुए जब तक संक्रमण पर काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक आरबीआई का जोर आर्थिक वृद्धि पर बना रहेगा। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने उच्च महंगाई को देखते हुए रेपो और रिवर्स रेपो दर ने पांचवीं बार कोई बदलाव नहीं किया। 

फिच सॉल्यूशंस का कहना है कि जी-सैप 1.0 कार्यक्रम के तहत एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के फैसले से लगता है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के दौरान नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। शुरुआत में लगा था कि फरवरी में बजट की घोषणा के बाद सरकारी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की गति को थामने के लिए रेपो दर में एक और कटौती हो सकती है।

आरबीआई ने 2021-22 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 4 फीसदी पर स्थिर रखा है। फिच ने पिछले पूर्वानुमान को संशोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक 2021-22 के दौरान नीतिगत दर को 4 फीसदी के स्तर पर स्थिर रखेगा। इससे पहले 0.25 फीसदी कटौती का अनुमान जताया था।

साथ ही एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान महंगाई के अपने अनुमान को भी संशोधित कर औसतन 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जो पहले के 4.6 फीसदी के अनुमान से ज्यादा है।