रूस-यूक्रेन युद्ध: UNSC में भारत ने नहीं किया रूस के खिलाफ वोट, मनीष तिवारी ने जताई न‍िराशा, बोले- ‘दोस्‍त’ की गलती को बता देना चाह‍िए

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Manish Tiwari
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यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की कड़े शब्दों में निंदा करने और यूक्रेन से ‘तत्काल एवं बिना शर्त’ बलों को वापस बुलाने की मांग करने वाले एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में मतदान हुआ, जिसमें भारत ने हिस्सा नहीं लिया. सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था. भारत के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि ‘दोस्त जब गलती करे तो उसे बता देना चाहिए.’ उन्होंने आगे कहा कि एक समय आता है, जब देशों को खड़े होने की जरूरत होती है, न कि एक तरफ खड़े होने की.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि भारत की गुटनिरपेक्ष आंदोलन नीति (NAM) 1991 से धीरे-धीरे समाप्त हो गई है और आज यदि भारत उसी नीति पर वापस चलने की सोचता है, तो यह एक गलती होगी. कांग्रेस सांसद ने इससे पहले गुरुवार को कहा था कि भारत सरकार को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए और इस बार वो गलती नहीं करनी चाहिए जो अतीत में सोवियत संघ द्वारा कई देशों पर हमले के समय उसकी निंदा नहीं करके की गई थी. उन्‍होंने कहा कि ऐसा समय भी आता है, जब आपको अपने ‘मित्रों’ को यह बताने की जरूरत होती कि वे सत्ता परिवर्तन कराने में शामिल नहीं हों.

रूस ने किया वीटो पावर का इस्‍तेमाल
यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया. ग्यारह देशों ने रूस की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और यूक्रेन से रूसी सैनिकों की ‘तत्काल, पूर्ण और बिना शर्त’ वापसी की मांग की. हालांकि, चीन, संयुक्त अरब अमीरात और भारत ने मतदान से परहेज किया जबकि रूस ने वोट को वीटो कर दिया.

भारत ने रूस के खिलाफ क्‍यों नहीं किया वोट
यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की निंदा वाले प्रस्ताव पर भारत ने मतदान नहीं करके बीच का कोई रास्ता निकालने तथा बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए सभी संबंधित पक्षों तक पहुंचने का विकल्प खुला रखा है. सूत्रों ने कहा कि भारत यूक्रेन में हुए हालिया घटनाक्रम से बेहद चिंतित है और वह मतभेदों का एकमात्र हल बातचीत के जरिए संभव है. सूत्रों ने बताया कि भारत ने देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही, साथ ही हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की मांग की, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत में मोदी ने पुतिन से कहा था.