इमरान खान ने फिर अलापा कश्मीर राग, बोले- पाकिस्तान से दोस्ती रखने पर भारत को होगा बड़ा आर्थिक लाभ

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Imran-Khan
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भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की कवायद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सुर थोड़े नरम पड़े हैं। खान ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते से भारत को आर्थिक लाभ के साथ-साथ संसाधनों से भरपूर मध्य एशिया तक पाक के रास्ते सीधी पहुंच मिलेगी।

दो दिवसीय इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता का उद्घाटन करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि 2018 में सत्ता में आने के बाद से उनकी सरकार ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए सब कुछ किया। अब उस पर प्रतिक्रिया देने की भारत की बारी है। इमरान ने कहा कि पहला कदम भारत को उठाना होगा। जब तक वे ऐसा नहीं करते हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। 

उल्लेखनीय है कि भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ एक पड़ोसी की तरह रिश्ते को सामान्य बनाना चाहता है। जहां दुश्मनी, हिंसा और आतंक मुक्त वातावरण हो। तब भारत ने कहा था कि अब यह पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे वातावरण का निर्माण करे। भारत ने साथ में यह भी कहा था कि ‘आतंक और बातचीत’ एकसाथ नहीं हो सकते और इस्लामाबाद को भारत में दहशत फैलाने वाले आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिखना चाहिए।

पर नहीं छोड़ा कश्मीर पर राग अलापना
कार्यक्रम में इमरान ने अपने लोगाें को गरीबी से उबारने के लिए अपने सदाबहार मित्र चीन की जमकर तारीफ की। साथ ही कहा कि अनसुलझा कश्मीर मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत कश्मीरियों को उनका हक देता है, तो यह पाकिस्तान के साथ भारत के लिए भी बेहद फायदेमंद होगा। खान ने कहा मध्य एशिया तेल और गैस का धनी है और वहां तक पहुंचने के लिए भारत को सीधा रास्ता मिल जाएगा। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में मध्य एशिया में कजाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान देश हैं, जो संसाधनों से परिपूर्ण है।

पाकिस्तान के दुष्प्रचार पर भारत विश्व बिरादरी को पहले ही समझा चुका है
दरअसल अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने पर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति और समर्थन जुटने के लिए काफी नाकाम कोशिशें कीं। हालांकि भारत ने इस मसले पर विश्व बिरादरी को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि यह उसका अंदरूनी मामला है। इससे पाकिस्तान के प्रयासों पर पानी फिर गया था। दोनों देशों ने 25 फरवरी को इस बात पर सहमति जताई थी कि वे जम्मू-कश्मीर सहित अन्य क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के समझौते का सख्ती से पालन करेंगे।