संस्‍कृति संजोने वाले गुमनाम नायकों पर बनी फिल्‍म ‘थेवा’, IGNCA में दर्शकों ने सराहा..

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इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में शुक्रवार को फिल्‍म थेवा की स्‍क्रीनिंग हुई. यह फिल्‍म उन गुमनाम नायकों और उनके हुनर को प्रदर्शित करती है जो रहस्यमय तरीके से निर्मित कला को जीवित रखे हुए हैं. दरअसल सोने की महीन चादरों को रंगीन कांच पर जोड़कर छोटे उपकरणों की मदद से सोने पर डिजाइन तैयार करने का नाम है ‘थेवा’. जो कि भारत में सदियों से प्रचलित है. इस कला में अब राजस्थान राज्य के मात्र 12 परिवार लगे हुए हैं.

इस हुनर पर आधारित फिल्‍म ‘थेवा’ की निर्देशिका शिवानी पांडेय हैं. इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ऐसे ही कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए चलचित्र तैयार करता रहा है. शुक्रवार को केंद्र के समवेत सभागार में सायं चार बजे से मीडिया सेंटर द्वारा फिल्म स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया. निर्देंशक शिवानी पांडेय ने फिल्म के निर्मित होने की कहानी को दर्शकों के साथ साझा किया. दर्शकों ने भी निर्देंशक से फिल्म से जुड़े प्रश्नों को किया. लेखिका मालविका जोशी ने फिल्म की तारीफ करते हुए कहा कि अनोखी कला के बारे में दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्मों के कारण ही कला और संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है.

ऐसी फिल्‍में हमारी संस्‍कृति और कला को जीवंत बनाती हैं: अतुल गंगवार

सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य अतुल गंगवार ने कहा कि ऐसे चलचित्र ही हमारी संस्कृति और कला को जीवंत बनाए हुए हैं. इससे अन्य राज्यों की संस्कृति को भी चलचित्र के माध्यमों से जनता के सामने लाने का प्रयास किया जाना चाहिए. जिससे हमारे देश की विभिन्न राज्यों की कलाओं और संस्कृति की जानकारी अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हो सके. फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान किसान नेता नरेश सिरोही, नियंत्रक अनुराग पुनेठा, उप नियंत्रक श्रुति नागपाल, उमेश पाठक आदि मौजूद रहे.