ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का फरमान, 40% आरक्षण स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में दें, कॉर्पोरेट सेक्टर ने किया विरोध

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निजी क्षेत्र में स्‍थानीय लोगों को नौकरी का अवसर देने के लिए आरक्षण देने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. हरियाणा के बाद अब उत्‍तर प्रदेश में भी इस तरह का फैसला लिया गया है. ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इस बाबत घोषणा की है. इससे उद्योग जगत में हलचल मच गई है. अथॉरिटी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, क्षेत्र में स्‍थापित औद्योगिक इकाइयों को 40 फीसद तक स्‍थानीय लोगों को रोजगार देना होगा. बता दें कि अथॉरिटी का यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब किसान नेता राकेश टिकैत ने नोएडा क्षेत्र के जाट और गुर्जर जाति से आने वाले लोगों को निजी कंपनियों में नौकरी न देने का आरोप लगाते हुए दिल्‍ली-नोएडा बॉर्डर को जाम करने की चेतावनी दी है.

स्‍थानीय जनप्रतिनिधियों ने अथॉरिटी के इस फैसले पर खुशी जताई है. वहीं, निजी क्षेत्र ने इस आदेश का विरोध किया है. प्राइवेट सेक्‍टर के प्रतिनिधियों ने ग्रेटर नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के इस फैसले को कॉर्पोरेट सेक्‍टर की मुश्किलों को बढ़ाने वाला बताया है. इनका कहना है कि अधिकारियों को स्‍थानीय लोगों के बारे में भी बताना चाहिए कि आखिर लोकल हैं कौन? वैसे लोग जो यहां कई वर्षों से रह रहे हैं या जिसका यहां घर है या फिर जिसका इस क्षेत्र में गांव आता है.

बता दें कि इससे पहले भाजपा शासित हरियाणा में भी निजी क्षेत्र में प्रदेश के युवाओं को तरजीह देने को लेकर आदेश जारी किया जा चुका है. खट्टर सरकार के फरमान के अनुसार, निजी क्षेत्र को 75 फीसद तक हरियाणा के युवाओं को रोजगार का अवसर देना होगा. विधानसभा के मानसून सत्र में पारित इस विधेयक को राज्‍यपाल ने मंजूरी भी दे दी है. हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद औद्योगिक जगत के बड़े संगठन सीआईआई सवाल उठा चुकी है. सीआईआई का कहना है कि इससे असंतुलन की स्थिति पैदा होगी. मालूम हो कि किसी भी कंपनी या औद्योगिक इकाई द्वारा भर्तियों की जानकारी छुपाने की स्थिति में उन पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.