ED ने दी फ्लिपकार्ट और फाउंडर्स को चेतावनी, लग सकता है 10 हजार करोड़ रुपए तक का जुर्माना

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प्रवर्तन निदेशालय ने देश की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट और इसके फाउंडर्स सचिन बंसल और बिन्नी बंसल पर 10,000 करोड़ रुपए (1.35 अरब डॉलर) का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है. इन पर विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने फ्लिपकार्ट और इसके फाउंडर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. फ्लिपकार्ट और अन्य के पास नोटिस का जवाब देने के लिए लगभग 90 दिन का समय है.

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों फ्लिपकार्ट और एमेजॉन.डॉट इंक पर कई वर्षों से विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है, जो मल्टी ब्रांड रिटेल को सख्ती से रेग्युलेट करता है और ऐसी कंपनियों को सेलर्स के लिए मार्केटप्लेस संचालन के लिए प्रतिबंधित करता है.

ईडी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह मामला आरोपों की जांच से संबंधित है कि फ्लिपकार्ट ने विदेशी निवेश आकर्षित किया और एक संबंधित पार्टी, डब्ल्यूएस रिटेल, फिर उपभोक्ताओं को अपनी शॉपिंग वेबसाइट पर सामान बेच दिया, जो कानून के तहत विरुद्ध था.

एक कारण बताओ नोटिस जुलाई की शुरुआत में चेन्नई में एजेंसी के कार्यालय द्वारा फ्लिपकार्ट, इसके फाउंडर्स सचिन बंसल और बिन्नी बंसल के साथ-साथ वर्तमान निवेशक टाइगर ग्लोबल को यह बताने के लिए जारी किया गया था कि उन पर 10,000 करोड़ रुपए का जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए.

बता दें कि वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट में 16 अरब डॉलर में बहुमत हिस्सेदारी खरीदी थी. यह अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. सचिन बंसल ने उस समय अपनी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेच दी थी, जबकि बिन्नी बंसल ने एक छोटी हिस्सेदारी बरकरार रखी थी.

जुलाई में 3.6 बिलियन डॉलर के फंडिंग राउंड के बाद फ्लिपकार्ट का वैल्युएशन तीन साल से भी कम समय में दोगुना होकर 37.6 बिलियन डॉलर हो गया. इस दौरान सॉफ्टबैंक ने बाजार में शुरुआत से पहले कंपनी में फिर दोबारा निवेश किया.

नोटिस ऑनलाइन रिटेलर के लिए नया नियामक सिरदर्द है, जो पहले से ही भारत में सख्त प्रतिबंधों और एंटीट्रस्ट जांच का सामना कर रहा है और छोटे विक्रेताओं की शिकायतों की बढ़ती संख्या है.