पंजाब में बिजली का संकट नहीं हो रहा हल : तलवंडी साबो प्लांट की तीसरी यूनिट में भी खराबी

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पंजाब में बिजली संकट गहराता जा रहा है। धान की रोपाई और भीषण गर्मी से राज्य में बिजली की मांग अब 13000 मेगावाट से अधिक हो गई है। इस संकट से उबरने के लिए पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से बिजली उत्पादन बढ़ाने को कहा है। उधर, तलवंडी साबो स्थित पावर प्लांट की तीसरी यूनिट में भी खराबी आई गई है।

बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने और राज्य में उपभोक्ताओं को 8 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति करना अब पीएसपीसीएल के लिए चुनौती साबित हो रहा है। बिजली संकट से उबरने के लिए अब पीएसपीसीएल ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से मदद मांगी है। पीएसपीसीएल की ओर से बीबीएमबी को बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा है। 

पीएसपीसीएल के सीएमडी ए वेणु प्रसाद ने बीबीएमबी के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव को पत्र लिखकर उत्पादन बढ़ाने का अनुरोध किया है। साथ ही बीबीएमबी को भाखड़ा परियोजना से अधिक बिजली पैदा करने के तौर-तरीकों का पता लगाने और सिंचाई के उद्देश्य से नहर प्रणाली में पानी बढ़ाने और 24 घंटे सभी उपलब्ध इकाइयों को चलाने को कहा है। सीएमडी प्रसाद ने बताया कि मानसून की देरी के कारण यह हालात पैदा हुए हैं। हालांकि पीएसपीसीएल के स्तर से बिजली संकट से उबरने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, जल्द ही इस समस्या से राज्य को निजात मिल पाएगी।

पंजाब के पास मांग के अनुरूप अभी काफी कम बिजली है। पंजाब को केंद्रीय क्षेत्र से 3864 मेगावाट बिजली मिल रही है। 2195 मेगावाट बिजली राज्य खरीद रहा है। बायोगैस और सौर ऊर्जा सहित अन्य सभी माध्यमों के जरिए पंजाब अभी तक 12810 मेगावाट बिजली ही जुटा पा रहा है, जबकि राज्य में अभी 13000 मेगावाट से अधिक की मांग है।

पंजाब में बिजली संकट बुधवार को और गहरा गया, जब तलवंडी साबो थर्मल के एकमात्र चालू तीसरी यूनिट में भी तकनीकी खराबी आ गई। इसके चलते इस यूनिट से बिजली उत्पादन 50 फीसदी कम हो गया। जबकि इस प्लांट की दो यूनिट पहले ही तकनीकी खराबी के चलते बंद पड़ीं हैं। ऐसे में बिजली आपूर्ति में और कमी से पंजाब के विभिन्न हिस्सों में लोगों को बुधवार को अघोषित कटों का सामना करना पड़ा। वहीं किसानों को भी पांच से छह घंटे ही बिजली मिल सकी।

इस बीच शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा है कि पंजाब बिजली संकट से जूझ रहा है। मुझे विभिन्न उद्योगपतियों के फोन आ रहे हैं कि हमें बचाओ। उन्होंने कहा कि हमारे आर्डर रद्द हो रहे हैं क्योंकि कारखानों में बिजली नहीं होने के कारण काम नहीं हो रहा। उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पिछले 4-5 सालों में एक भी थर्मल/सौर प्लांट नहीं लगाया है। उन्होंने बठिंडा और रोपड़ थर्मल प्लांट भी बंद कर दिए। मैं कैप्टन से अपील करता हूं कि वे कहीं से भी बिजली खरीद लें और उद्योगों को बचाएं।