एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने बताया- वायरस में बदलाव के कारण आती हैं लहरें, ज्यादा आबादी को टीकाकरण जरूरी

    204
    Dr Guleria on thurd wave of covid-19

    कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप और आने वाली लहर को लेकर लोगों को काफी चिंता है। इस पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने एम्स के निदेशक ने बताया कि किसी भी महामारी में कई लहरें क्यों आती हैं। इस तरह की लहरें आमतौर पर श्वसन वायरस के कारण होने वाली महामारियों के दौरान होती हैं।  सार्स-कोव-2 एक श्वसन वायरस है।

    डॉ. गुलेरिया ने कहा कि 1918 का स्पेनिश फ्लू, एच1एन1 (स्वाइन) फ्लू इसके उदाहरण हैं। 1918 के स्पेनिश फ्लू की दूसरी लहर सबसे बड़ी थी, जिसके बाद एक छोटी तीसरी लहर थी। अब, एच1एन1 स्वाइन फ्लू के मामले आमतौर पर मानसून और सर्दियों के दौरान देखे जाते हैं।

    लोगों को सावधान करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि लहरें इसलिए आती हैं क्योंकि वायरस का स्वरूप एक हद तक बदल जाता है, जिससे विभिन्न रूपों जैसे सार्स-कोव-2 के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट का पता चला है, लेकिन यह मानव व्यवहार में बदलाव के कारण भी है।

    लहर के पीछे का एक कारण मानव व्यवहार भी
    डॉ. गुलेरिया ने सावधान किया कि जब भी मामले बढ़ते हैं, लोगों में डर होता है और मानव व्यवहार बदल जाता है। लोग कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख्ती से पालन करते हैं और गैर-फार्मास्युटिकल हस्तक्षेप संचरण की श्रृंखला को तोड़ने में मदद करते हैं। लेकिन जब अनलॉक किया जाता है, तो लोग सोचते हैं कि ज्यादा संक्रमण नहीं होगा और वे कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं करते हैं। इसके चलते वायरस फिर से समुदाय में फैलने लगता है, जिससे संभावित रूप से एक और लहर पैदा हो जाती है।

    निदेशक ने कहा कि अगर हमें आने वाली लहरों को रोकना है, तो हमें उस समय तक आक्रामक रूप से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की जरूरत है, जब तक कि हम यह नहीं कह सकते कि हमारी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को टीके लग चुके हैं या हमने प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर ली 

    उन्होंने आगे कहा कि जब पर्याप्त लोगों को टीका लगाया जाएगा या जब हम संक्रमण के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर लेंगे, तो ये लहरें रुक जाएंगी। अभी एकमात्र तरीका यह है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख्ती से पालन किया जाए।