तालिबान सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह अपने ‘फूड फॉर वर्क’ प्रोग्राम का विस्तार करने जा रही है. क्योंकि देश में वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा है. कृषि अधिकारियों ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत द्वारा पिछली अमेरिकी समर्थित काबुल सरकार को बड़े पैमाने पर जो गेहूं दान किया गया था. उसका इस्तेमाल 40,000 श्रमिकों को पांच घंटे काम करने पर 10 किलोग्राम गेहूं का भुगतान करने के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि काबुल में बड़े पैमाने पर मजदूरों को भुगतान करने वाली इस योजना का देश भर में विस्तार किया जाएगा. कृषि मंत्रालय में प्रशासन और वित्त के उप मंत्री फजल बारी फजली ने कहा, ‘हम अपने लोगों की यथासंभव मदद करने के लिए तैयार हैं.’ फजली के मुताबिक, तालिबान प्रशासन को पहले ही पाकिस्तान से अतिरिक्त 18 टन गेहूं, 37 टन और गेहूं के वादे के साथ मिला है. इतना ही नहीं, 55 टन के लिए भारत के साथ भी बातचीत हो रही है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के पास फूड फॉर वर्क प्रोग्राम के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि दान किए गए गेहूं का कितना हिस्सा सीधे मानवीय सहायता के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा और अफगानिस्तान में श्रमिकों को कितना भुगतान किया जाएगा. यह कार्यक्रम देश में गंभीर वित्तीय संकट को उजागर करता है. तालिबान सरकार के पास नकदी की कमी होने की वजह से वहां मजदूरों को मजदूरी के तौर पर अनाज वितरित किया जा रहा है.
हाल के महीनों में.. तालिबान के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाए जाने, केंद्रीय बैंक की संपत्ति को फ्रीज करने और विदेशी सहायता के निलंबन जैसे कई प्रमुख मुद्दों से देश की वित्तीय स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है. तालिबान के कब्जे के बाद, गरीबी, सूखा और बिजली की कमी की परेशानियों से जूझ रहे अफगानिस्तान की हालत इस समय खस्ताहाल है. तालिबान सरकार ने बताया कि फूड फॉर वर्क प्रोग्राम का लाभ उन मजदूरों को नहीं मिलेगा, जो पहले से ही किसी काम से जुड़े हुए हैं. इस प्रोग्राम के तहत केवल उन ही मजूदरों को काम दिया जाएगा, जो भुखमरी का गंभीर रूप से शिकार हो सकते हैं.