कोरोना संकट के बीच MSME सेक्टर के लिए बड़ी राहत, विश्व बैंक ने 50 करोड़ डॉलर की सहायता का किया एलान

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विश्व बैंक ने भारत सरकार की MSME सेक्टर की मदद के लिए पहल को समर्थन देने वाले 500 मिलियन डॉलर (यानी 50 करोड़ रुपये) के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. सरकार ने 30 मई को अपनी 3 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) को तीन महीने बढ़ाने का एलान किया था. इस स्कीम को 30 जून 2021 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया था या जब तक 3 लाख करोड़ रुपये की राशि जारी होती है. वित्त मंत्रालय ने अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिक, मेडिकल कॉलेजों को ऑन-साइट ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने के लिए दो करोड़ रुपये तक के लोन पर 100 फीसदी गारंटी का भी एलान किया था, जिसमें ब्याज दर की सीमा 7.5 फीसदी रखी गई है.

ECLGS 1.0 की भी अवधि बढ़ाई गई थी
मंत्रालय ने MSMEs और दूसरी इकाइयों के लिए स्कीम की अवधि को बढ़ाने का भी एलान किया था, जो 5 मई 2021 की गाइ़डलाइंस के मुताबिक, पुनर्गठन के लिए योग्य हैं और उन्होंने ECLGS 1.0 के तहत क्रेडिट उधार लिया है. ECLGS 1.0 के तहत चार साल की कुल अवधि, जिसमें ब्याज का पुनर्भुगतान पहले 12 महीनों में शामिल है, जिसके साथ, ECLGS 1.0 के तहत 36 महीनों में प्रिंसिपल और ब्याज का पुनर्भुगतान है, वे अपने ECLGS लोन के लिए पांच साल की अवधि का फायदा ले सकेंगे.

इससे पहले आरबीआई ने भी शुक्रवार को संकट के दौर से गुजर रहे एमएसएमई के लिए लोन री-स्ट्रक्चरिंग की सीमा 25 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 50 करोड़ रुपये कर दी थी. आरबीआई ने कहा था कि इससे एमएसएमई और गैर एमएसएमई छोटे कारोबार और बिजनेस के लिए लोन वाले इंडिविजुअल कस्टमर को राहत मिलेगी. री-स्ट्रक्चरिंग के तहत बैंक ग्राहकों की सहूलियत के लिए लोन की मौजूदा शर्तों को बदल देते हैं. इसके तरह लोन चुकाने के लिए ज्यादा वक्त दिया जाता है. साथ ही तय शर्तों के तहत ब्याज देनदारी की फ्रीक्वेंसी भी बदली जाती है.