केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को पुलिस ने हिरासत में लिया, सीएम उद्धव ठाकरे पर दिया था आपत्तिजनक बयान

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ शिवसेना ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसके बाद पुलिस ने नारायण राणे को चिपलून से हिरासत में ले लिया है. नारायण राणे ने सीएम उद्धव के बारे में कहा था कि 15 अगस्त को लेकर नहीं पता, मैं होता तो कान के नीचे लगाता… जिसके बाद उनके इस बयान से नाराज शिवसेना ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

नासिक साइबर पुलिस ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ शिवसेना नासिक प्रमुख की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की और उसके बाद पुलिस आयुक्त ने राणे को गिरफ्तार करने के आदेश जारी किये. उसके बाद उन्हें गिरफ्तार करने के लिए डीसीपी संजय बरकुंड के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई थी, जिसने उन्हें हिरासत में लिया है.

नारायण राणे के खिलाफ अबतक 4 एफआईआर दर्ज हो गई हैं, जबकि रत्नागिरी कोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका सुनने से इनकार कर दिया.

थप्पड़ वाला बयान
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री राणे ने रायगढ़ जिले में सोमवार को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा था, ‘‘ यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि देश की आजादी को कितने साल हो गए हैं. भाषण के दौरान वह पीछे मुड़ कर इस बारे में पूछते नजर आए थे. अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता.’’

इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने आपत्तिजनक बयान देने के मामले में मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे की तत्काल गिरफ्तारी के आदेश जारी किए और पुलिस के एक दल को कोंकण शहर के चिपलुन रवाना कर दिया गया.

हाई कोर्ट पहुंचे राणे
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने दर्ज प्राथमिकियों को चुनौती देते हुए आज बंबई हाई कोर्ट का रुख किया और गिरफ्तारी से छूट का अनुरोध किया. अधिवक्ता अनिकेत निकम के माध्यम से दाखिल राणे की याचिका में प्राथमिकी रद्द करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है. 

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ के समक्ष दाखिल याचिका में मंगलवार को ही तत्काल सुनवाई की मांग की गई. हालांकि, पीठ ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि (याचिका का) उल्लेख करने की अनुमति नहीं है. पीठ ने कहा कि वकील को प्रक्रिया का पालन करना होगा.