कोरोना वायरस की नई लहर से यूरोप से लेकर अमेरिका तक बढ़ी चिंता

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यूरोप अब कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर को झेल रहा है। यूरोपीय देशों नए सिरे से लॉकडाउन किए जा रहे हैं। फ्रांस में हालांकि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू करने से इनकार किया है, लेकिन पेरिस और नीस सहित 16 क्षेत्रों में सख्त पाबंदियां लागू कर दी गई हैं।

इसी हफ्ते इटली के रोम और मिलान जैसे प्रमुख शहरों में सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया गया। स्पेन में अगले महीने ईस्टर की छुट्टियों को देखते हुए यात्रा संबंधी प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में लॉकडॉउन में ढील देने की योजना फिलहाल छोड़ दी गई है।

विशेषज्ञों ने कहना है कि यूरोपीय देशों ने लॉकडाउन में ढील देने में जल्दबाजी दिखाई। उसका नतीजा अब भुगतना पड़ रहा है। फ्रांस की संक्रामक रोग विशेषज्ञ कैथरीन हिल ने एक अमेरिकी टीवी चैनल से कहा- कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई थी कि लॉकडाउन में ढील दे दी गई।

आगे उन्होंने कहा कि क्रिसमस के मौके पर लोग खरीदारी करने निकल पड़े। अब हालत यह है कि आईसीयू में भर्ती होने वाले कोविड-19 मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फ्रांस में कई जगहों पर हालत संकटपूर्ण है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय सबसे ज्यादा कहर कोरोना वायरस का वह संस्करण ढा रहा है, जिसे B.1.1.7 नाम दिया गया है। एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस का ये स्ट्रेन सबसे पहले पिछले साल ब्रिटेन में दिखा था।

रिपोर्ट के मुताबिक ये संभव है कि ये स्ट्रेन अधिक घातक हो। इटली के शहर ला’अकीला के एक अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख अलेसांद्रो ग्रिमाल्दी ने कहा है कि वायरस के अधिक संक्रामक संस्करण ने अब ‘खेल बदल दिया है’ और अब इसके फैलाव को रोकने के लिए कहीं अधिक सख्त उपाय करने होंगे।

ताजा हाल के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो महीने पहले ही चेतावनी दे दी थी। जब ब्रिटेन में पाया गया स्ट्रेन यूरोप में फैलने लगा, तो डब्लूएचओ ने कहा था कि जब ये स्ट्रेन डोमिनेंट यानी सर्व-प्रभावशाली हो जाएगा, तब उसका असर महामारी कर्व पर पड़ेगा।

मुमकिन है कि उससे संक्रमण की दर बढ़ जाए। जर्मनी के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने पिछले दस मार्च को एलान कर दिया था कि कोरोना वायरस का ब्रिटिश संस्करण जर्मनी में डोमिनेंट हो गया है। फ्रांस और इटली में भी नए मामलों के लिए यही स्ट्रेन जिम्मेदार है। स्पेन में भी यह तेजी से फैला है।

यूरोप में बिगड़ती स्थिति से अमेरिका में भी चिंता बढ़ी है। नया वायरस अमेरिका में भी तेजी से फैल रहा है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अनुमान लगाया है कि ये वायरस इस महीने के आखिर या अप्रैल की शुरुआत तक अमेरिका में डोमिनेंट हो जाएगा।

वैसे यूरोप की हालत को लेकर अमेरिका में बढ़ रही चिंता की एक दूसरी वजह भी है। क्रिसमस के बाद ब्रिटेन में जहां संक्रमण में तेजी से हुए फैलाव के कारण जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था, वहीं जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन तब इस पर काबू रखने में कामयाब रहे थे।

टीकाकरण शुरू होने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब वहां इस महामारी पर काबू पा लिया जाएगा। लेकिन संक्रमण की नई लहर आ जाने से अब वहां बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इस कारण नए सिरे से लॉकडाउन लागू करने पड़ रहे हैं।

अमेरिकी विशेषज्ञों को चिंता है कि इससे आर्थिक बदहाली बढ़ेगी। लॉकडाउन से महामारी पर काबू पाने में मदद मिलती है। इटली की बोलोगना यूनिवर्सिटी के एक हालिया अध्ययन से जाहिर हुआ कि सख्त लॉकडाउन से कोरोना से जुड़ी मौतों में 91 फीसदी तक की कमी आई।

लेकिन लॉकडाउन की बहुत बुरी आर्थिक मार प्रभावित देशों पर पड़ी है। अमेरिका का कारोबार यूरोप से काफी हद तक जुड़ा हुआ है। अगर यहां लॉकडाउन का दौर लंबा चला, तो उसके असर से अमेरिका भी नहीं बच पाएगा।