सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि चुनावी मौसम के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार का वादा और वितरण “एक गंभीर मुद्दा” है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है।
शीर्ष अदालत ने लेवर अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आज सुनवाई की, जिसमें चुनावों से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘मुफ्त’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका में चुनाव घोषणापत्र को विनियमित करने और उसमें किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है। याचिका पर सुनवाई लगभग 20 मिनट तक चली। हलाकि, कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया है।
आपको बता दे कि मामले में आप आदमी पार्टी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कल्याणकारी योजना और मुफ्त चीजें देने में अंतर है। जिसपर शीर्ष अदालत ने कहा कि पैसे गंवाने और लोगों की भलाई के कामों में संतुलन होना चाहिए। यह एक गंभीर मुद्दा है, विचार विमर्श करने के बाद ही इस पर फैसला सुनाया जायेगा।