श्रीलंका को अगले चार महीनों में दवा और दूसरी जरूरी वस्तुओं की खरीद के लिए विश्व बैंक से 30 करोड़ डॉलर से 60 करोड़ डॉलर तक मदद मिलेगी. भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. साबरी इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ राहत पैकेज पर बातचीत करने के लिए वाशिंगटन में हैं. उन्होंने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा कि आईएमएफ के साथ बातचीत में कुछ समय लग सकता है, और इस बीच विश्व बैंक मदद देने को तैयार हो गया है.
साबरी ने कहा कि पड़ोसी देश भारत भी ईंधन खरीदने के लिए 50 करोड़ डॉलर देने पर सहमत हो गया है, और नई दिल्ली से अतिरिक्त एक अरब डॉलर की सहायता हासिल करने पर बातचीत चल रही है. भारत ने श्रीलंका को पहले ही एक अरब डॉलर की ऋण सहायता दी है.
नियंत्रण से बाहर जा चुकी है महंगाई
इसी बीच श्रीलंका में महंगाई ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है और ऐसे में श्रीलंका के जनगणना और सांख्यिकी विभाग ने अपने आंकड़े जारी किए हैं. उनमें मार्च में साल दर साल आधार पर महंगाई दर 21.5 फीसदी आ गई है. श्रीलंका के नेशनल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में खाद्य महंगाई दर साल दर साल आधार पर 29.5 फीसदी पर आ गई है. वहीं गैर खाद्य महंगाई दर 14.5 फीसदी पर आ चुकी है.
भारत लगातार प्रदान कर रहा है सहायता
वहीं भारत ने पिछले तीन महीनों में श्रीलंका को लगभग 2.5 अरब अमरीकी डालर की सहायता प्रदान की है, जिसमें ईंधन और भोजन के लिए ऋण सुविधाएं शामिल है. इसके अलावा भारत कथित तौर पर संकटग्रस्त द्वीप राष्ट्र को अरब अमेरिकी डालर की और सहायता देने पर विचार कर रहा है. दूसरी ओर चीनी प्रवक्ता शू और वांग ने चीन की मानवीय सहायता के बारे में कोई विवरण नहीं दिया है. इससे पहले की रिपोर्टों में कहा गया था कि चीन ने वर्ष 1952 में हस्ताक्षरित रबर-चावल समझौते का हवाला देते हुए श्रीलंका को चावल भेजने की पेशकश की थी, जिसके तहत कोलंबो से चीन रबर का आयात करता.