SC ने केंद्र की टीकाकरण नीति को बताया मनमाना और तर्कहीन, कहा- ‘नहीं रहेंगे मूकदर्शक, केंद्र वैक्सीन खरीद का पेश करे ब्योरा’

    386
    supreme court

    केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। 45 साल से अधिक आयु वाले लोगों को फ्री टीका लगाने और उससे कम वालों के लिए पेड वैक्सीन को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा कि पहली नजर में ही यह चिढ़ाने वाला और मनमाना है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह रोडमैप पेश करे कि आखिर कैसे दिसंबर के अंत तक वह देश में सभी वयस्क लोगों को टीका लगाने की बात कर रही है। इससे पहले सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह इस साल के अंत तक सभी लोगों के टीकाकरण के लिए काम करेगी। बता दें कि विपक्ष की आलोचना के जवाब में भी सरकार कई बार यह बात दोहरा चुकी है।

    वैक्सीनेशन की पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 18 से 44 साल के लोग न सिर्फ संक्रमण का शिकार हो रहे हैं बल्कि उसके चलते और भी कई असर हो रहे हैं। लंबे समय तक उन्हें अस्पतालों में रहना पड़ रहा है और मौतें हो रही हैं। यही नहीं सरकार की ओर से इस तर्क पर भी अदालत ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की गई कि नीतियों को लागू करने से कोर्ट को दूर रहना चाहिए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे वक्त में अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती, जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो।

    कोर्ट ने कहा कि हमारी संविधान यह नहीं कहता कि जब नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो अदालतें मूकदर्शक बनी रहें। बेंच ने सरकार से कहा कि आखिर बजट में वैक्सीन के लिए तय किए गए 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे खर्च हुए हैं और 18 से 44 साल वाले लोगों के लिए उसका क्या इस्तेमाल किया जा रहा है। कोर्ट ने सरकार से एफिडेविट दाखिल कर यह बताने को कहा कि उसने कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-वी की कब और कैसे खरीद की है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मंगलवार को कहा था कि आखिर युवाओं को कोरोना के इलाज में प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा रही है। अदालत ने कहा था कि 80 साल की आयु तक पहुंच चुके लोग अपनी जिंदगी जी चुके हैं। ऐसे में उनकी बजाय युवाओं को तरजीह दी जाए।