केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए रियाजुल्ला खान ने पूछे तीखे सवाल, बोलें- जनता होने का अधिकार आज के दौर में साहस का कार्य

725

रियाज़ुल्लाह ने कहा- आज के दौर में जनता, जनता क्यों नही है? दरअसल लोकतांत्रिक होने की प्रक्रिया को बहुत साहस की ज़रूरत होती है ऐसा नही की आप फ्री फंड में लोकतांत्रिक हो जाओगे। निजीकरण और मीडिया का नेशनल सिलेबस 2014 के बाद जबसे कारपोरेट कल्चर आया है इनकी किसी भी लोकतांत्रिक भागीदारी में उपस्थिति न के बराबर रही है जो भी एक बार कॉरपोरेट सेक्टर में गया वो डेमोक्रेसी के सेट अप से बाहर हो गया वह चाहे राजनैतिक दल हो या व्यक्ति, जितना ज्यादा निजीकरण बढ़ेगा आप कंपनी के खिलाफ, सरकार के खिलाफ, किसी धार्मिक गुरु के खिलाफ नही बोल सकते है। तो क्या बोले?जब किसी के खिलाफ बोल ही नही सकते तो क्या करें?कम से कम कोई ‘बोलना दिवस’ ही तय कर दिया जाए इतनी जयंती मनाई जाती क्यों न एक ‘बोलना जयंती’ भी तय कर दी जाए। लोकतंत्र में जनता सरकार चुन सकती है अगर तो कुछ गलत हो तो बोल भी सकती है तो फिर क्यों लोगो को सरकारी डंडे से रोका जाता है? प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री की आलोचना भर से किसी को क्यों देशद्रोही,घोषित कर दिया जाता?

रियाज़ुल्लाह खान बोलें – कभी गौर किया पिछले कई वर्षों से सांसद सत्र, विधान सभा सत्र संकुचित क्यों हो रहे? कितनी गड़बड़ियां पैदा कर दी गयी लोकतंत्र को लेकर!नेताओं को लेकर!सोच में कंफ्यूजन क्यों? भांति भांति के सर्वे जैसे एक सर्वे में स्ट्रांग नेता चाहिए 55 प्रतिशत लोगो ने माना क्या संविधान में बनाये गए कानून दिए गए अधिकार किसी नेता,प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री के लिए अपर्याप्त है? क्या कैबिनेट मीटिंग में युद्ध लड़ना पड़ता है? अगर नही तो स्ट्रांग लीडर क्यों? जनता की भावना को रिप्रेजेंट करने वाला नेता क्यों नही चाहिए? जब सवाल पूछा जाता है तो लोग बोलते स्ट्रांग नेता चाहिए लेकिन जब इस सवाल को ऐसे पूछा जाए कि सैन्यतंत्र वाला नेता चाहिए या लोकतंत्र वाला तो कंफ्यूज़न क्यों?
महात्मा गांधी,नेल्सन मंडेला,मार्टिन लूथर किंग,विनोबा भावे,विवेकानंद,ये सब स्ट्रांग नेता नही थे क्या? दुबले पतले धोती पहनने वाले गांधी जिन्होंने ब्रिटिश हुक़ूमत को उखाड़ फेंका जिनकी लीडरशिप में भगत सिंह,चंद्रशेखर आज़ाद ,जैसे कितने लोगों ने उनको अपना नेता माना तो क्या वे कमज़ोर नेता थे या मजबूत? ज़रूरी नही कोई सूट बूट,बड़बोला,झूट बोलने वाला ही मजबूत नेता हो सकता है! इसलिए हम सबको समझना पड़ेगा कि अगर हम आप लोकतंत्र में अपने लोक होने के बोध को कमज़ोर कर देंगे तो क्या भारत की आज़ादी के साथ धोका तो नही कर रहे कितनी कुर्बानियां दी गयी कितने लोगो ने अपने प्राणों की आहुति दे कर खुद को जनता होना साबित किया था खुद को हम आप उस देश के लिए उन शहीदों के लिए अपने को जनता होने के अधिकार को कमज़ोर न होने दें।


रियाज़ुल्लाह कहते है- अगर कोई बात से आपको असहमति है तो आप खुलकर बोले ये गलत है मैं इस बात का विरोध करता हूँ ये कहने में लोकतंत्र में कैसा डर लेकिन आज के दौर में जो विरोध करता है वो देशद्रोही कैसे हो जाता है अपराधी क्यों घोषित कर दिया जाता है? जनता में जो शक्ति है उस शक्ति को गंवाना नही है मेरा मानना है किसी क्रिकेटर,फिल्मस्टार के फैन बन जाये परंतु किसी राजनीतिक व्यक्ति के फैन मत बनिये फैन बनने या बनाने के ज़रिए ये जो राजनैतिक संस्कृति बिगाड़ी जा रही है उसमें अभी आपको मज़ा आ रहा है लेकिन इसके जरिये आपकी हैसियत खत्म की जा रही है।अगर आप टीवी देखे तो समाज के बीच में अविश्वास राष्ट्रवाद और इतिहास का सहारा लेकर आपको डराया जा रहा है। उत्तरप्रदेश के बलिया में दिन दहाड़े हुई हत्या और हत्याके आरोपी के पक्ष में खड़े विधायक का बयान की व्यक्ति अमुक जाति का है इसलिए मैं उसके साथ खड़ा हूँ ये ताकत भारत के संविधान के खिलाफ है क्या वो जनता जिसने विधायक को जिताया आज अपने जनता होने के अधिकार को खो नही चुकी?