राकेश टिकैत ने कहा – हम नहीं छोड़ेंगे बॉर्डर, कृषि कानून रद्द होने तक चलेगा आंदोलन

431
Rakesh-Tikait

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक संसद का मानसून सत्र चलेगा, तभी तक किसानों की संसद भी बाहर चलेगी। किसान तभी वापस जाएंगे, जब कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा। टिकैत ने कहा कि अब सरकार की मर्जी है, वह जब चाहे बातचीत शुरू कर सकती है। किसान बातचीत से कभी पीछे नहीं हटे थे और वह हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और इस तरह ही चलता रहेगा। 15 अगस्त को लेकर भी कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं और किसान उस दिन तिरंगा फहराएंगे। तिरंगा किस जगह पर फहराया जाएगा, इसको लेकर सभी बैठकर तय कर लेंगे। 

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का जत्था बृहस्पतिवार को विरोध-प्रदर्शन करने जंतर-मंतर पर पहुंचा। भारी सुरक्षा इंतजामों के साथ किसानों ने यहां समानांतर संसद लगाई। किसानों ने फिर कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे आंदोलन चलता रहेगा। किसानों ने कहा कि जरूरत हुई तो आंदोलन 2024 तक चलाया जाएगा। 

किसान संसद के पहले दिन जंतर मंतर पर किसानों ने अपनी एकजुटता दिखाई और सरकार से कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग की। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि देश की संसद में किसानों की आवाज दबाई जा रही है। अगर सांसद किसानों के हक में संसद के भीतर आवाज नहीं उठाते तो उनके क्षेत्र में विरोध किया जाएगा। चाहे वह किसी भी दल के हों। 

राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन के आठ महीन में सरकार ने किसानों को दिल्ली में आकर अपनी बात रखने की अनुमति दी है।  सरकार किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है, लेकिन हम हार नहीं मानने वाले। जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे आंदोलनकारी डटे रहेंगे। केंद्र को कानूनों को वापस लेना ही होगा। 

भाकियू नेता ने कहा कि सरकार किसानों को हल्के में ले रही है। अन्नदाताओं ने दिल्ली का रास्ता देख रखा है। जब तक संसद का यह सत्र चलेगा यहां 200 किसान रोज आएंगे और अपनी मांग को रखेंगे। जिस प्रकार देश के संसद में प्रस्ताव पास होते हैं उसी प्रकार किसान संसद में भी प्रस्ताव पास होंगे जिन्हें सरकार को मानना होगा। 

मिशन पंजाब के बयान पर एक सप्ताह पहले संयुक्त किसान मोर्चा से सस्पेंड किए गए भाकियू चढूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी भी वीरवार सुबह कुंडली बॉर्डर पर पहुंच गए। चढूनी खुद को सस्पेंड किए जाने के बाद से लगातार अपनी बात पर अड़े हुए हैं कि वह मिशन पंजाब के अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन उसके बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा को उनको बहाल करना पड़ा।

उनको बुधवार की रात को ही बहाल कर दिया गया। जिसके बाद चढूनी ने कहा कि वह बॉर्डर पर पहुंच गए हैं और उनको संयुक्त किसान मोर्चा लेकर जाता है तो वह चले जाएंगे। जिसके बाद चढूनी खुद भले ही नहीं गए, लेकिन उनके संगठन के तीन सदस्य भी जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल होने के लिए चले गए।