कमजोर पड़ रहे किसान आंदोलन की बागडोर संभाल पॉपुलर हुए राकेश टिकैत, विकिपीडिया ने बनाया पेज

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Rakesh Tikait

किसान नेता राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं जिनका जन्म (4 जून 1969) में हुआ था, राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। राकेश बीकेयू के अध्यक्ष रहे दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। वह सिसोली के एक प्रसिद्ध किसान नेता हैं।

राकेश टिकैत का जन्म मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। वह ऐसे ही मध्यमवर्गीय माहौल में पले-बढ़े हैं। राकेश ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए किया। उसके बाद एलएलबी किया। वह दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल थे।

2020 में कृषि कानून के विरोध में ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन से वह चर्चा में रहे। ‘राकेश’ भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे ‘दिवंगत महेंद्र’ सिंह टिकैत के बेटे हैं। वह सिसोली के एक किसान नेता हैं।

1993-94 में उनके पिता के नेतृत्व में किसान आंदोलन चल रहा था। आंदोलन बढ़ता जा रहा था। कहा जाता है कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी जब यह आंदोलन खत्म नहीं करा पाए तो उन्होंने राकेश टिकैत पर दबाव बनाना शुरू किया। दबाव पड़ने पर उन्हें नौकरी छोड़ दी।

दिल्ली पुलिस से कॉन्स्टेबल की नौकरी छोड़ने के बाद राकेश टिकैत भी किसान यूनियन में शामिल हो गए। उनके पिता की कैंसर से निधन हो गया। पिता की मौत के बाद उन्होंने और उनके भाई ने भारतीय किसान यूनियन की बागडोर संभाल ली।

कैसे बने किसानों के मसीहा:

पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से किसान आंदोलन चल रहा था, लेकिन गणतंत्र दिवस के मौके पर हिंसक रूप लिया, हद तो तब हो गई जब किसान प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने लाल किले की प्राचीर में पहुंचकर धार्मिक ध्वज फहरा दिया। किसान नेताओं ने इस घटना को शर्मनाक बताया। जिसके बाद किसानों की महीनों की मेहनत बर्बाद होती नज़र आयी, कई किसान नेता निराश होके आंदोलन से पीछे हैट गए जिसके चलते आंदोलन पूरी तरह कमजोर पड़ गया, हिंसा के बाद पुलिस दिल्ली बॉर्डर खाली करवाने की कोशिश करने लगी। प्रशासन की सख्ती के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर तीन कंपनी CAPF, 6 कंपनी PAC और 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने भावुक होकर दो टूक कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. उनके इंटरव्यू के दौरान रोने का वीडियो भी सामने आया है. देखते ही देखते यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों के गांवों में तेजी से फैलने लगा और किसानों ने एक बार फिर उनका समर्थन करने का फैसला किया. देर रात में ही यूपी के कई जिलों के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर वापस लौटे और जिसके बाद राकेश टिकैत ने आंदोलन की कमान संभाली और आंदोलन जारीरखने का एलान किया, जिसके चलते अभी भी किसान आंदोलन जारी है।