राजस्थान सरकार ने 50 साल बाद बदले शिक्षा विभाग के नियम, लाखों कार्मिकों को होगा इसका फायदा

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Ashok gehlot
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राजस्थान में उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए पुराने ढर्रे के बने हुए नियमों में बदलाव कर दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी दी गई. इसके साथ ही 50 साल से चले आ रहे शिक्षा विभाग के नियमों में बदलाव हो गया है. सरकार द्वारा किए गए नियमों के बदलाव के बाद हजारों शिक्षकों  को अलग-अलग तरह की बड़ी राहत मिली हैं, जिसकी वह लंबे समय से मांग करते आ रहे थे. पिछले कई सालों से प्रक्रियाधीन शिक्षा सेवा नियमों को बुधवार को कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत कर दिया गया है. इस स्वीकृति के साथ ही शिक्षा विभाग के नियम 50 साल बदल गए हैं.

राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 और राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 को पुनर्लेखन कर राजस्थान शैक्षिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम 2021 बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत कर दिया गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नए सेवा नियमों से कई संवर्ग में रुकी हुईं पदोन्नतियां हो सकेंगी. विभाग में कार्यरत चार लाख से अधिक कार्मिकों को इसका फायदा मिलेगा. वहीं, शिक्षा विभाग को उच्च पदों पर अधिकारी उपलब्ध होंगे, जिससे स्कूल और कार्यालय के शैक्षिक, प्रशासनिक और निरीक्षण कार्य को गति मिलेगी और पुराने सेवा नियमों की विसंगति दूर होगी.

यह मिलेगा फायदा 
-शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रिंसिपल से सीधी पदोन्नति होगी.
-व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 होगा.
-अतिरिक्त निदेशक के पद पद पदोन्नति के लिए संयुक्त निदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल 4 साल के अनुभव का प्रावधान.
-संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्न्ति के लिए उपनिदेशक के एक साल के अनुभव के साथ कुल चार के साल अनुभव का प्रावधान. पहले जिला शिक्षा अधिकारी के पद का तीन साल का अनुभव आवश्यक था.
-व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापक का पदोन्नति अनुपात 80:20 किया.
-सेकेंडरी स्कूल में अब प्रधानाध्यापक की जगह होगा वाइस प्रिंसिपल.
-सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भी वाइस प्रिंसिपल का पद किया स्वीकृत.
-जिस विषय से स्नातक की है उसी विषय से पीजी करने पर ही बन सकेंगे व्याख्याता अर्थात स्नातक बीएससी से करके पर इतिहास से पीजी करने पर व्याख्याता अब नहीं बन पाएंगे.
-प्रधानाध्यापक पद की योग्यता को भी स्नातक से अधिस्नातक किया गया.
-पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड प्रथम का पद एनकैडर किया गया.
-व्याख्याता शारीरिक शिक्षा के पद को एनकैडर किया गया.
-पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सेकेंड के पदों पर सीधी भर्ती और पदोन्नति पर लगी रोक हटाई.
-6 डी से तृतीय श्रेणी अध्यापकों के सेटअप में बदलाव के लिए तीन साल की सेवा की शर्त का विलोपन.
-शारीरिक शिक्षक ग्रेड थर्ड, पुस्तकालयाध्यक्ष ग्रेड सेकेंड और तृतीय की योग्यता एनसीटीई के अनुसार संशोधित की गई.
-प्रतियोगी परीक्षाओं से चयन के जिए न्यूनतम उत्तीर्णांक का प्रावधान. 40 फीसदी न्यूनतम उत्तीर्णांक जरूरी, लेकिन नियमानुसार छूट का प्रावधान.