राहुल गांधी ने सरकार पर उठाए सवाल, ‘फ्रीडम हाउस’ और ‘वी-डेमोक्रेसी’ की रिपोर्ट्स का हवाला दे बोलें- ‘भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा’

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Rahul Gandhi

फ्रीडम हाउस के बाद वी-डेमोक्रेसी नाम की एक संस्था की तरफ से जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार कहा कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा। उन्होंने एक न्यूज रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘भारत अब लोकतांत्रित देश नहीं रहा।’

राहुल ने जिस खबर के स्क्रीनशॉट को शेयर किया है उसमें वी-डेमोक्र्सी (वरायटीज ऑफ डेमोक्रेसी) की तरफ से जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि भारत अब उतनी ही तानाशाही वाला देश बन चुका है, जितना पाकिस्तान है। रिपोर्ट में भारत को बांग्लादेश से भी खराब बताया गया है।

अमेरिकी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट के एक हफ्ते बाद ही स्वीडिश संस्था वी-डेमोक्रेसी ने भी भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता जताई है। वी-डेमोक्रेसी ने भारत को ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ यानी ‘चुनावी तानाशाही’ वाले देशों की सूची में शामिल किया है। पिछले हफ्ते ‘फ्रीडम हाउस’ ने ‘डेमोक्रेसी अंडर सीज’ नाम से जारी अपनी रिपोर्ट में भारत को ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ श्रेणी में रखा था। भारत सरकार ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए रिपोर्ट को ‘भ्रामक, गलत और अनुचित’ करार देते हुए खारिज किया है।

‘ऑटोक्रेटाइजेशन गोज वायरल’ शीर्षक की अपनी रिपोर्ट में वी-डेमोक्रेसी ने भारत को ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ के दर्जे से हटाकर ‘चुनावी तानाशाही’ वाला देश बताया है। इसके लिए मीडिया पर अंकुश, मानहानि और राजद्रोह कानूनों का हद से ज्यादा इस्तेमाल को वजह बताई गई है। वी-डेमोक्रेसी की सालाना रिपोर्ट में भारत 2013 में सबसे ज्यादा 0.57 (शून्य से एक के बीच स्केल) स्कोर हासिल किया था जबकि 2020 के लिए यह स्कोर महज 0.34 है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंसरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान इतना ही निरंकुश है। वह अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल से भी बुरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी की अगुआई वाली सरकार अपने आलोचकों को चुप कराने के लिए राजद्रोह, मानहानि और काउंटर टेररिज्म के कानूनों का इस्तेमाल कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक 7 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। इनमें ज्यादातर वे हैं जो सत्ताधारी पार्टी के आलोचक हैं।