राजनीतिक दलों की मांग से सहमत हुआ पंजाब चुनाव आयोग, 6 से 8 दिन के लिए मतदान की तारीख बढ़ सकती है आगे

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election commision of india
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चुनाव आयोग की पंजाब में मतदान की तारीख आगे बढ़ाने के मुद्दे पर चल रही बैठक खत्म हो गई है. चुनाव आयोग बसपा, कांग्रेस, पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा की उस मांग पर सहमत हो गया है, जिसमें तीनों दलों ने 16 फरवरी को श्री गुरु रविदास जयंती के कारण चुनाव को 6 दिन आगे बढ़ाने की मांग की थी. सूत्रों के मुताब‍िक, आयोग 6 से 8 दिन के लिए मतदान की तारीख को बढ़ा सकता है. चुनावी शेड्यूल के मुताबिक, राज्य में 14 फरवरी को एक चरण में ही मतदान होने वाला है. सीएम चन्नी ने आयोग को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों ने उन्हें बताया कि रविदास जयंती को लेकर बड़ी संख्या में एससी श्रद्धालु 10 से 16 फरवरी तक उत्तर प्रदेश के बनारस का दौरा करेंगे.

बीजेपी ने भी सीएम चन्नी की तरह चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर दलील दी थी कि 16 फरवरी को पंजाब में श्री गुरु रविदास जयंती है और इस मौके पर दलित समुदाय के काफी लोग वाराणसी और अन्य तीर्थ स्थलों पर गुरुपर्व मनाने के लिए जाते हैं. ऐसे में उनके लिए मतदान के दिन पंजाब में बना रहना मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में चुनाव आयोग को चुनाव की तारीख बदलने पर विचार करना चाहिए.

बसपा की पंजाब इकाई के प्रमुख जसवीर सिंह गढ़ी ने सबसे पहले मतदान की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी. उन्होंने आयोग से 14 फरवरी के बजाय 20 फरवरी को मतदान कराने का अनुरोध किया था. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है और मतगणना 10 मार्च को होगी. पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में भी इसी तारीख को वोटों की ग‍िनती होगी.

चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले ही आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रैलियों और जनसभाओं पर लगी रोक को 22 जनवरी तक बढ़ा दिया. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में अगले महीने से होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए आयोग ने फिजिकल रैली आयोजित करने पर 15 जनवरी तक रोक लगाई थी. हालांकि आयोग ने राजनीतिक दलों को यह छूट दी है कि अधिकतम 300 व्यक्तियों की भागीदारी या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित की जा सकती हैं. अधिकारियों ने देश में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति और पांचों चुनावी राज्यों में इसके ट्रेंड को देखते हुए स्थिति की समीक्षा की.