भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज 76 वर्ष के हो चुके हैं. आज रामनाथ कोविंद भारत देश के सबसे ऊंचे पद पर विराजमान हैं लेकिन हमेशा उनका जीवन ऐसा नहीं था. क्योंकि उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बचपन गरीबी में ही गुजरा. भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पश्चात 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने शपथ ग्रहण की. आज हम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जीवन के कुछ पहलुओं के ही बारे में बात करने वाले हैं.
शुरुआती जीवन और कैरियर
रामनाथ कोविंद का जन्म एक बेहद साधारण परिवार में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था. रामनाथ कोविंद का जन्म उस भारतवर्ष में हुआ था जो अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था. एक दलित परिवार में जन्में रामनाथ कोविंद का जीवन व उनका सफर भी मुश्किलों से भरा पड़ा था. कठिनाइयों और चुनौतियों के होने के बावजूद उनके परिवार ने रामनाथ कोविंद को पढ़ाया लिखा. इस शिक्षा का परिणाम यह हुआ कि सारी तकलीफों को एक किनारे रखते हुए रामनाथ कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी वकालत शुरू की.
साधारण जीवन के हैं प्रेमी
गरीबी के कारण बचपन में रामनाथ कोविंद पढ़ाई करने के लिए 6 किमी तक पैदल चलकर जाते और 6 किमी वापस पैदल चलकर आते थे. रामनाथ कोविंद के गांव वाले उनकी दरियादिली के कायल हैं और उनकी काबिलियित पर भी उन्हें गर्व है. सर्वोच्च न्यायालय में वकालत कर रहे रामनाथ कोविंद के बड़े व नामी वकील हुए. इसके बाद इन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया. बता दें कि रामनाथ कोविंद के पास आज भी संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं है. वहीं गांव में मौजूद अपने घर को भी उन्होंने दान कर दिया है.
राजनीति में एंट्री
राजनीति में रामनाथ कोविंद की एंट्री साल 1994 में हुई. इस दौरान वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाते हैं. वे साल 2006 से दो बार राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं. पेश से वकील रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस भी की है. बता दें कि वे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं. वहीं वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके हैं. रामनाथ कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.