प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को ‘डिफेंस मैन्यफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बीते कुछ सालों से हमारी कोशिश है कि डिफेंस मैन्यफैक्चरिंग में बेड़ियों को तोड़ा जाए. इस दौरान भारत में रक्षा उत्पादन से जुड़े स्टेक हॉल्डर्स भी मौजूद रहे.
पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में हमारा प्रयास डिफेंस मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी सभी बेड़ियां तोड़ने का है. हमारा उद्देश्य है कि भारत में ही उत्पादन बढ़े, नई तकनीक भारत में ही विकसित हो, और प्राइवेट सेक्टर का इस क्षेत्र में अधिकतम विस्तार हो, इसके लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं.’ उन्होंने कहा कि आज यहां हो रहे मंथन से जो परिणाम मिलेंगे उससे, आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को गति मिलेगी.
पीएम ने कहा कि दशकों से आयुध कारखानों को सरकारी विभागों की तरह ही चलाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि एक सीमित विजन के कारण देश का नुकसान तो हुआ ही, साथ ही वहां काम करने वाले मेहनती, अनुभवी और कुशल श्रमिक वर्ग का भी बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय से देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति पर निर्णय नहीं हो पा रहा था, ये निर्णय नए भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक है.
वेबिनार को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर हमारा कमिटमेंट सिर्फ बातचीत या कागजों तक ही सीमित नहीं है. इसके कार्यान्वयन के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘सीडीएस के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में समन्वय बेहतर हुआ है. इससे डिफेंस उपकरणों की खरीद को स्केल-अप करने में मदद मिल रही है। आने वाले दिनों में डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए ऑर्डर्स का साइज भी बढ़ने वाला है.’
पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में 101 डिफेंस आइटम्स को पूरी तरह से घरेलू खरीद के लिए सुरक्षित कर दिया गया है. इस लिस्ट को और व्यापक बनाया जाएगा, इसमें और आईटम जुड़ते जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘आधुनिक उपकरणों में आत्मनिर्भरता के लिए तकनीकी अपग्रेडेशन जरूरी है. जो उपकरण आज बन रहे हैं, उनका नेक्स्ट जेनरेशन तैयार करने पर काम करने की भी जरूरत है. इससे लिए डीआरडीओ के अलावा निजी क्षेत्र और एकेडिमिक इंस्टीट्यूट्स में भी काम किया जा रहा है.’ पीएम ने कहा कि डिफेंस कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों के साथ मिलकर स्टेट ऑफ आर्ट इंफ्रास्टक्चर तैयार किया जा रहा है. इसके लिए आने वाले 5 वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है.