PM मोदी ने आज मन की बात में कहा- ‘लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 68वें संस्करण में आज देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. पीएम मोदी ने सबसे पहले देशवासियों को गणेशोत्सव की शुभकामनाएं दीं. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ओणम एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार बनता जा रहा है. यह हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सही समय होता है. हमारे अन्नदाता को हमारा नमन. हमारे किसानों ने कोरोना के इस कठिन समय में भी अपनी काबिलियत को साबित किया है. अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः, अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ. बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत,संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं. बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के lockdown या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा. और इसी से मैंने गांधीनगर की Children University जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘साथियों, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने. हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, Toy Production का बहुत बड़ा hub कैसे बने. वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी demand सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा. साथियों, खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो. ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें. एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया. महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था. यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया. इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया. खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहाँ की visit करना, इन सबको curriculum का हिस्सा बनाया गया है. साथियों, हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं. भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी- कई ऐसे स्थान हैं.’

PM मोदी ने आगे कहा, ‘कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत expert होते हैं. साथियों, मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं. Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं. राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं. पिछले कुछ समय में सेना, NSG और CISF ने मुधोल हाउंड dogs को trained करके dog squad में शामिल किया है, CRPF ने कोम्बाई dogs को शामिल किया है. Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है. मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और, उपयोगी बनाया जा सके.’

PM मोदी ने आगे कहा, ‘अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ. आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है. मेरे प्रिय देशवासियों, कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें. हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है. तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है. मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि, उसे अवसर में बदल भी दिया है. आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं. शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं. मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायेंगे.’