ऑस्कर विजेता फिल्म ‘जोकर’ का नहीं हो सकेगा भारतीय टेलीविजन पर प्रसारण, जानिए वजह

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हॉलीवुड अभिनेता जैक्वीन फीनिक्स को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर पुरस्कार दिलाने वाली पिछले साल की चर्चित फिल्म ‘जोकर’ अब भारतीय टेलीविजन पर प्रसारित नहीं हो पाएगी। फिल्म को सेंसर बोर्ड से मिले ‘ए’ सर्टिफिकेट के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण में की गई फिल्म निर्माता कंपनी की अपील ठुकरा दी गई है। इसकी वजह फिल्म का कथानक, इसके मुख्य चरित्र के प्रस्तुतीकरण और फिल्म में हिंसा को सही ठहराने की कोशिशों को बताया गया है।

बैटमैन सीरीज की फिल्मों में दिखने वाले किरदार जोकर की अपनी एक पूरी अलग से कहानी दिखाती फिल्म ‘जोकर’ देश में ओटीटी पर देखने के लिए उपलब्ध है। इसकी निर्माता कंपनी टर्नर इंटरनेशनल ने इसके इस त्योहारी सीजन में टीवी प्रीमियर की योजना बनाई थी और इसी सिलसिले में फिल्म के प्रसारण से पहले इसका सेंसर सर्टिफिकेट लेने की कोशिश की गई। भारत में किसी भी फिल्म के टेलीविजन पर प्रसारण के लिए फिल्म को ‘यू’ अथवा ‘यूए’ प्रमाण पत्र हासिल करना अनिवार्य है।
सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने फिल्म देखने के बाद इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया और फिल्म कंपनी के निवेदन के बाद भी इसे ‘यूए’ प्रमाणपत्र देने से इंकार कर दिया। सेंसर बोर्ड का कहना है कि ‘जोकर’ एक बहुत ही डार्क और वॉयलेंट फिल्म है। सेंसर बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ टर्नर इंटरनेशनल ने फिल्म सेंसर अपीलीय प्राधिकरण (एफसीएटी) में अपील की जहां इस मामले की सुनवाई इसके अध्यक्ष मनमोहन सरीन और सदस्यों मधु जैन व शेखर अय्यर ने की।

एफसीएटी ने अपने आदेश में कहा कि फिल्म ‘जोकर’ मानसिक विकृतियों की कहानी कहती एक फिल्म है और अवयस्कों के लिए इसे समझना आसान नहीं होगा। प्राधिकरण ने कहा कि फिल्म को सिर्फ वयस्कों के लिए देखने योग्य मानने का केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का फैसला सही है। और, इसके विरोध में दाखिल याचिका को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं है।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म ‘जोकर’ को सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति के लिए जरूरी ‘यू’ सर्टिफिकेट देने का कारण बताते हुए लिखा, ‘फिल्म बहुद ही स्याह, विचलित करने वाली और बहुत ही हिंसक कथ्य और कथन पर आधारित चरित्र दर्शाती फिल्म है जो मानसिक बीमारी का भी शिकार है। फिल्म को देखने के बाद बच्चों पर ऐसे लोगों के प्रति गलत अवधारणा बन सकती है जो मानसिक रूप से परेशान या बीमार हैं।’