पंजाब में अब बिजली पर बवाल, सिद्धू ने अमरिंदर को घेरा, कहा- सही दिशा में करें कोशिश तो नहीं पड़ेगी कटौती की जरूरत

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पंजाब कांग्रेस में जारी कलह के बीच कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब में बिजली कटौती के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरा है। सिद्धू ने न सिर्फ अमरिंदर सिंह सरकार को फ्री बिजली देने का रास्ता सुझाया है, बल्कि राज्य में बिजली की लागत, कटौती और बिजली खरीद समझौतों की सच्चाई को भी सामने रखा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर वह फॉर्मूला बताया है कि आखिर पंजाब के लोगों को मुफ्त और 24 घंटे बिजली कैसे दी जा सकती है। सिद्धू ने यह भी कहा कि पंजाब के लोग बिजली के लिए अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा पैसा देते हैं।

सरकारी दफ्तरों में बिजली को लेकर जारी निर्देश पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि अगर हम सही दिशा में काम करें तो पंजाब में बिजली कटौती की जरूरत ही नहीं है और न ही मुख्यमंत्री (कैप्टन अमरिंदर सिंह) को सरकारी दफ्तरों के कामकाज की टाइमिंग या आम लोगों के लिए एयर कंडिशनर चलाने को मैनेज करने की आवश्यकता है।

बिजली खरीद लागत पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब 4.54 प्रति यूनिट रुपये की औसत लागत पर बिजली खरीद रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत रु. 3.85 प्रति यूनिट है और चंडीगढ़ 3.44 प्रति यूनिट रुपये का भुगतान कर रहा है। तीन प्राइवेट थर्मल प्लांट्स को पंजाब 5 से 8 रुपए प्रति यूनिट भुगतान करता है जो अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है।

सिद्धू ने अगले ट्वीट में कहा कि बादल सरकार ने पंजाब में 3 प्राइवेट थर्मल पावर प्लांट के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए। पंजाब इन समझौतों में दोषपूर्ण क्लॉज के कारण 2020 तक पहले ही 5400 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है और आगे फिक्स चार्ज के रूप में 65,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। जबकि पंजाब नेशनल ग्रिड से काफी सस्ती दरों पर बिजली खरीद सकता है, मगर बादल के हस्ताक्षर वाले ये पीपीए पंजाब के जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं। कानूनी संरक्षण होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत नहीं कर सकता, मगर पंजाब विधानसभा किसी भी समय नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत के लिए नया कानून ला सकती है। कानून में संशोधन करने से ये समझौते खत्म हो जाएंगे।

अगले ट्वीट में सिद्धी ने कहा कि पंजाब की प्रति यूनिट खपत का राजस्व भारत में सबसे कम है, जो पूरी बिजली खरीद और आपूर्ति प्रणाली के सकल कुप्रबंधन के कारण है। पीएसपीसीएल आपूर्ति की गई प्रत्येक इकाई पर 0.18 प्रति यूनिट अतिरिक्त पैसे का भुगतान करता है। यह तब है जब राज्य से 9000 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी जाती है।

उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा सस्ती होती जा रही है। लेकिन सौर और बायोमास ऊर्जा से पंजाब की क्षमता अप्रयुक्त बनी हुई है, भले ही इन परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्तीय योजनाओं का लाभ उठाया जा सके। PEDA अपना समय सिर्फ ऊर्जा दक्षता जागरूकता पर खर्च करता है।

सिद्धू ने कहा कि पंजाब को ओरिजनल मॉडल की जरूरत है, न कि दिल्ली का कॉपी किया हुआ मॉडल। उन्होंने कहा कि पंजाब पहले ही 9000 करोड़ बिजली सब्सिडी देता है लेकिन दिल्ली बिजली सब्सिडी के रूप में केवल 1699 करोड़ देती है। अगर पंजाब दिल्ली मॉडल की नकल करता है, तो हमें सब्सिडी के रूप में केवल 1600-2000 करोड़ मिलेंगे। पंजाब के लोगों की बेहतर सेवा के लिए पंजाब को एक ओरिजिनल पंजाब मॉडल की जरूरत है, कॉपी किए गए मॉडल की नहीं।