रेलवे में निजीकरण: एनएमपी के तहत – 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन के साथ कोंकण रेल का होगा मौद्रिकरण, मोदी सरकार जुटाएगी 1.52 लाख करोड़ रुपये

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 लाख करोड़ रुपए की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) की घोषणा कर दी है. एनएमपी के तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियमों को प्राइवेट हाथों में देकर सरकार पैसे जुटाएगी. बड़ी बात यह है कि इस योजना का आधे से ज्यादा हिस्सा सड़क और रेलवे क्षेत्र से जुड़ा है.

सरकार का कहना है कि इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाए जाएंगे और संपत्तियों का विकास किया जाएगा. निजी निवेश हासिल करने के लिए चेन्नई, भोपाल, वाराणसी और वडोदरा सहित भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के करीब 25 हवाई अड्डे, 40 रेलवे स्टेशनों, 15 रेलवे स्टेडियम और कई रेलवे कॉलोनी की पहचान की गई है. इन्हें निजी क्षेत्र के निवेश से विकसित किया जायेगा.

रेलवे में अनुमानित 1.52 लाख करोड़ रुपए के मौद्रिकरण परियोजना में क्या-क्या शामिल है?

400 रेलवे स्टेशन
90 यात्री ट्रेन
741 किलोमीटर लंबा कोंकण रेलवे
15 रेलवे स्टेडियम
और रेलवे कॉलोनियां

आकाश, पाताल और जमीन सब बेच डालेंगे पीएम मोदी- कांग्रेस

एनएमपी की घोषणा को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकाश, पाताल और जमीन सब बेच डालेंगे. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘60 लाख करोड़ रुपए की देश की संपत्ति की सेल – सड़क, रेल, खदान, दूरसंचार, बिजली, गैस, हवाईअड्डे ,बंदरगाह,खेल स्टेडियम…यानी मोदी जी….आसमान, ज़मीन और पाताल सब बेच डालेंगे. बीजेपी है तो देश की संपत्ति नहीं बचेगी.’’

केंद्र की मौद्रीकरण योजना जन-विरोधी – तृणमूल कांग्रेस

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि केंद्र की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना (एनएमपी) ‘साठगांठ वाले पूंजीपतियों की तरफ से सरकार का निजीकरण’ करने का उदाहरण है और इस ‘जन-विरोधी फैसले’ को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहले कभी ‘केंद्र सरकार ने इतना असहाय होकर कॉर्पोरेट जगत के सामने समर्पण नहीं किया’. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी सरकार कॉर्पोरेट द्वारा, कॉर्पोरेट की और कॉर्पोरेट के लिए है. साठगांठ वाले पूंजीपतियों ने सरकार का पूरी तरह निजीकरण कर दिया है.’’