म्यांमार सैन्य तख्तापलट: प्रतिबंध और कर्फ्यू के बाद भी बेअसर रही सैन्य सख्ती, पुलिस फायरिंग में कई घायल, सैकड़ों प्रदर्शनकारी किए गिरफ्तार

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म्यांमार में प्रदर्शनों पर लगे प्रतिबंध और कर्फ्यू के बाद भी बुधवार को लोग एक बार फिर तख्तापलट के खिलाफ सड़कों पर उतरे। कई शहरों में शुरू हुए प्रदर्शनों को देखते हुए सेना ने सख्ती शुरू कर दी है। उसने लगातार दूसरे दिन रबर की गोलियां, आंसू गैस और पानी की बौछारें छोड़ीं। इससे कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई हैं जबकि ने 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया है।

बुधवार सुबह सेना के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही राजधानी नेपीता की ज्यादातर सड़कों पर वॉटर कैनल व्हीकल्स नजर आने लगे। फौजियों को तीन टुकड़ियों में बांटा गया। सबसे आगे रहने वाले सैनिकों के हाथ में डंडे हैं। दूसरे कतार में टियर गैस यानी आंसू गैस छोड़ने वाले सैनिक और तीसरी कतार में रबर बुलेट और वॉटर कैनन वाली टुकड़ी है। लेकिन प्रदर्शनकारी फिर भी सड़कों पर उतरे।

‘द म्यांमार टाइम्स’ के अनुसार, देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के मेयर यू येविन समेत कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि गिरफ्तारी का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। इस बीच, यंगून में भी कर्फ्यू की परवाह किए बिना प्रदर्शन हुए। जबकि देश में हुए प्रदर्शनों में सरकारी कर्मचारियों ने सेना प्रमुख की इस धमकी के बाद भी भाग लिया कि यदि वे प्रदर्शनों में शरीक हुए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

म्यांमार के दो बड़े शहरों यंगून और मंडाले से प्रदर्शन की खबरें सामने आई है। यंगून में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और जापान दूतावास के सामने लोगों ने नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सत्ता निर्वाचित असैन्य सरकार को लौटाई जाए। इसके अलावा निर्वाचित नेता आंग सान सू ची और सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं को भी रिहा किया जाए।

पुलिस और सैन्य कर्मियों ने मंगलवार रात यंगून में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के मुख्यालय पर छापा मारा। स्थानीय मीडिया एनएचके वर्ल्ड ने बताया कि इस दौरान किसी के नहीं मिलने पर यहां तोड़फोड़ भी की गई। माना जा रहा है कि सेना ने यह कार्रवाई नवंबर में हुए चुनाव के दौरान धोखाधड़ी के दावे के समर्थन के हिस्से के रूप में की।।