अतिक्रमण हटाने के दौरान जिंदा जलीं मां-बेटी, प्रदेश में बढ़ा सियासी पारा..

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उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जल कर मौत हो गई। प्रशासन सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने गया था। अतिक्रमण हटाने के दौरान दो महिलाएं चिल्लाते हुए दौड़कर झोपड़ी में जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। पुलिस भी दौड़कर वहां पहुंचती है और दरवाजा तोड़ देती है। इसी बीच झोपड़ी में आग लग जाती है। पुलिस आग बुझाने के लिए बुलडोजर मंगाती है और झोपड़ी गिरवा देती है। लेकिन पुलिस वह माँ बेटी को बचा नहीं पाती है। दोनों को बचाने के प्रयास में गृहस्वामी व रुरा इंस्पेक्टर भी झुलस गए।

परिवार को झोपड़ी में जबरन कैद किया

पीड़ित और उसके परिवार का आरोप है की, कानपुर देहात के मैथा तहसील में तैनात एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद और रूरा थाना प्रभारी दिनेश कुमार गौतम समीर लेखपाल अशोक सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर पहले तो परिवार को झोपड़ी में जबरन कैद किया, उसके बाद आग लगा दी। इसके चलते झोपड़ी के अंदर फंसी मां-बेटी की झुलस कर मौत हो गई। बतादें घटना से आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर आग लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। भीड़ ने पहले तो लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला कर उन्हें घायल किया उसके बाद प्रशासन के अधिकारियों को मारने के लिए दौड़ा लिया। टीम अपने वाहनों को वहीं छोड़कर मौके से भागकर अपनी जान बचाई।

इस मामले पर कानपुर कमिश्नर राज शेखर का कहना है की, “पीड़ित के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की जांच की जा रही है। इस मामले में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।” परिवार के लोग जिनके खिलाफ भी तहरीर देंगे जांच कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।” कानपुर देहात पुलिस ने 11 नामजद लोगों के साथ कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

घटना को लेकर प्रदेश में सियासत तेज:-

अब इस घटना को लेकर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर सरकार और पुलिस पर हमला बोलते हुए पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है। पीड़ित परिवार ने भी प्रसाशन के सामने 50 लाख मुआवजा और 2 सदस्यों को सरकारी नौकरी देने के साथ ही आवास और परिवार को आजीवन पेंशन देने की मांग की है।