लोन मोरेटोरियम: नए आदेश से बैंकों पर 8 हजार करोड़ का बोझ और बढ़ेगा, एसबीआई को मिले 18,125 करोड़ के लिए कर्ज पुनर्गठन के आवेदन

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DCW issues notice to SBI

शीर्ष अदालत ने कर्जधारकों को दी गई लोन मोरेटोरियम सुविधा के तहत पूरी तरह ब्याज माफी से तो इनकार कर दिया, लेकिन ब्याज पर ब्याज वसूलने का दायरा बढ़ा दिया है। इस फैसले से बैंकिंग क्षेत्र पर करीब 8,000 करोड़ का बोझ और बढ़ जाएगा।

दरअसल, सरकार ने दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ही चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने से छूट दी थी। इस तरह के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज माफी के साथ ही सरकार ने मोरेटोरियम अवधि में वसूले गए ब्याज पर ब्याज को लौटा भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि हम ब्याज वसूलने से पूरी तरह रोक तो नहीं लगा सकते, लेकिन मोरेटोरियम के दौरान किसी भी तरह के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं वसूला जा सकता।

रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि मार्च से अगस्त तक छह महीने मोरेटोरियम के दौरान सभी तरह के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ किए जाने से बैंकों पर कुल 14,500 करोड़ का बोझ पड़ता। इसमें से 6,500 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं। नए आदेश से बैंकों पर 7-8 हजार करोड़ का बोझ और पड़ेगा। 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के चेयरमैन ने पिछले दिनों कहा था कि बैंक को 18,125 करोड़ रुपये के कर्ज पुनर्गठन के लिए आवेदन मिले हैं। यह बैंक की कुल बकाया राशि का करीब 10 फीसदी है। संपत्ति वर्गीकरण की छूट दिए जाने के बाद एसबीआई का सकल एनपीए 5.44 फीसदी पहुंच सकता है, जो दिसंबर में 4.77 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज के वर्गीकरण पर लगाई अंतरिम रोक भी समाप्त कर दी है। बैंक अब डिफॉल्टर खाते को एनपीए घोषित कर सकेंगे। शीर्ष अदालत ने 3 सितंबर, 2020 को कर्जधारकों को बड़ी राहत देते हुए खातों को एनपीए घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मंगलवार को आए फैसले के तहत जो खाते 31 अगस्त, 2020 तक मानक के अनुरूप थे, उन्हें एनपीए घोषित नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, अंतरिम रोक की वजह से बैंक इसके बाद के खातों को भी एनपीए में नहीं डाल पा रहे थे। बैंक इन खातों को प्रोफार्मा एनपीए वर्ग में रखते हैं।

शीर्ष अदालत से हरी झंडी मिलने के बाद बैंक अपनी बैलेंस शीट को जल्द साफ कर सकेंगे और एनपीए की तस्वीर भी ज्यादा साफ हो सकेगी। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस फैसले के बाद हजारों की संख्या में कर्जधारकों के खाते एनपीए होंगे, जिनसे बैंक वसूली की कार्यवाही कानून के तहत कर पाएंगे। आरबीआई नियमों के तहत, अगर कोई कर्जधारक 90 दिन तक पुनर्भुगतान नहीं करता है तो उसका खाता एनपीए श्रेणी में आ जाएगा।

इंडिया मॉर्गेज गारंटी कॉरपोरेशन के सीईओ महेश मिश्रा ने कहा कि एनपीए पर रोक के दौरान बैंकोें ने पुनर्भुगतान नहीं करने वाले खातों का आकलन प्रोफार्मा आधार पर किया था। यह कुल कर्ज का 8.3 फीसदी अथवा 8.7 लाख करोड़ रुपये होगा। 31 दिसंबर, 2020 को बैंकों ने 7.4 लाख करोड़ सकल एनपीए का खुलासा किया था, जो कुल कर्ज का 7.1 फीसदी है। अगर शुद्ध एनपीए की बात करें, तो प्रोफार्मा आधार पर 2.7 लाख करोड़ या कुल कर्ज का 2.7 फीसदी होगा, जबकि बैंकों ने दिसंबर में 1.7 लाख करोड़ का शुद्ध एनपीए बताया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सकल एनपीए 1.3 लाख करोड़ और शुद्ध एनपीए एक लाख करोड़ बढ़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में तेजी दिखी। एसबीआई ने 1.48 फीसदी, तो एचडीएफसी बैंक ने 2.11 फीसदी का उछाल दर्ज किया। आईसीआईसीआई बैंक में 2.25 फीसदी, बंधन बैंक में 3.36 फीसदी, एक्सिस बैंक में 2.02 फीसदी तेजी आई। बीएसई पर बैंकिंग सूचकांक 1.51 फीसदी चढ़कर 38,462.48 पर पहुंच गए। जियोजित फाइनेंशियल के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, लघु अवधि में बैंकों का एनपीए बढ़ने और मुनाफा घटने का जोखिम रहेगा।

मंदी की मार से उबरने की कोशिश कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के संक्रमण का बोझ फिर बढ़ने लगा है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने मासिक बुलेटिन में कहा है कि अगर बढ़ते संक्रमण पर जल्द काबू नहीं पाया, तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और लॉकडाउन का बोझ वहन करना मुश्किल होगा। महामारी में नौकरियां गंवाने वाले लाखों लोगोें को काम पर लौटने में भी देरी होगी। उन्होंने कहा कि भारत को तेज विकास दर की जरूरत है। ऐसे में कोविड का जोखिम बढ़ा और फिर लॉकडाउन की स्थिति बनी, तो अप्रैल-जून तिमाही पर फिर दबाव बढ़ जाएगा।

ड्यूश बैंक के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा है कि संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते रहे तो भारत अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर 26.2 फीसदी विकास दर का लक्ष्य चूक सकता है। मौजूदा हालात के हिसाब से 2021-22 की पहली तिमाही में 25.5 फीसदी विकास दर का अनुमान है। बार्कलेज के वरिष्ठ भारतीय अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा कि आर्थिक सुधारों पर बढ़ते दबाव से बेरोजगदारी दर भी बढ़ रही है। सीएमआईई के अनुसार, फरवरी में बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी पहुंच गई, जो जनवरी में 6.5 फीसदी थी।