लखीमपुर हिंसा: विपक्ष की ओर से इस्तीफे की मांग के बीच काम पर लौटे अजय मिश्र टेनी

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लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी पर विपक्ष हमलावर है और उनके इस्तीफे की लगातार मांग कर रहा है। इसी बीच दिल्ली दरबार पहुंचे केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र को लेकर तमाम सियासी अटकलें दो दिनों से जारी थीं।

इस बीच गुरुवार को अजय मिश्र टेनी ने एक ट्विट किया। ट्विट कर उन्होंने खुद को दिल्ली के एक सरकारी कार्यक्रम में मौजूद रहने की बात कही है। रविवार से अजय मिश्र टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्र का नाम लखीमपुर के तिकुनिया कांड को लेकर चर्चा में है। सोमवार को अजय मिश्र टेनी दिन भर लखीमपुर में थे।

मंगलवार की देर रात वह दिल्ली बुला लिए गए। बताया जाता है कि वहां उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बीच अजय मिश्र टेनी को लेकर तमाम अटकलें सियासी हल्के में चल रही थीं। बात उनके मंत्रालय को लेकर भी कही जा रही थी, लेकिन गुरुवार की दोपहर अजय मिश्र टेनी ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के एक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद हैं।

इस ट्वीट को वैसे तो एक सूचना के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन लोग इसके मायने भी निकाल रहे हैं। इसके मायने यह भी हो सकते हैं कि दिल्ली में सब ठीक है। वहां का पारा लखीमपुर जितना चढ़ा हुआ नहीं है। वहीं यह तस्वीर समर्थकों के लिए एक संदेश के रूप में भी है कि दिल्ली में अजय मिश्र टेनी की कुर्सी को फिलहाल खतरा नहीं है।

वहीं लखनऊ के सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर प्रधानमंत्री को अपनी चिंताएं बता दी हैं। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। लखीमपुर खीरी प्रकरण से न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा आहत बताए जा रहे हैं। पूरा प्रकरण किसानों से जुड़ा है और इसलिए टेनी की परेशानी बढ़ना तय माना जा रहा है। इस प्रकरण में प्रधानमंत्री मोदी कभी भी बड़ा फैसला ले सकते हैं।

मामला केंद्र सरकार के मंत्री के परिवार से जुड़ा है। माना जा रहा है कि आशीष मिश्रा पर पुलिस और जांच एजेंसी की जांच प्रक्रिया शुरू होते ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ कार्यवाही का दबाव बनने लगेगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश भाजपा और राज्य सरकार पर भी इसकी कुछ न कुछ आंच आएगी। इसलिए सरकार और भाजपा का संगठन दोनों जांच प्रक्रिया, वायरल वीडियो की सच्चाई की जांच का सहारा लेकर काफी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा के बाद मामला ठंडा पड़ने लगा था, लेकिन वायरल हुए वीडियो ने इसे फिर से भड़का दिया है। अब देखना है कि आगे क्या होता है।