Kader Khan Birth Anniversary: भूख और गरीबी में पले कादर खान ऐसे बने सिनेमा का हीरा, जानें उनकी पूरी कहानी

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कादर खान हिंदी सिनेमा का एक ऐसा नायाब हीरा रहे, जिसकी चमक सदियों तक बरकार रहेगी। आज भले ही वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन सिनेमा को दिया उनका योगदान उनकी यादगार फिल्मों के रूप में हमेशा मौजूद रहेगा। कादर खान न सिर्फ एक अच्छे ऐक्टर थे, बल्कि बेहतरीन डायलॉग राइटर और कमीडियन भी थे। 22 अक्टूबर को उनकी बर्थ ऐनिवर्सरी है। यहां पढ़ें उनके रोचक किस्से और रोंगटे खड़े करने वाली एक कहानी, कादर खान का जन्म वैसे तो अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। लेकिन जीविका चलाने के लिए उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था। हालांकि यहां उन्हें गुजारा करना भी मुश्किल हो गया। मुंबई में कादर खान और उनके परिवार को एक गंदी बस्ती में रहना पड़ा। गरीबी इतनी थी कि खाने तक के लाले पड़ गए थे। कई बार तो कादर खान को खाली पेट सोना पड़ता था। जब वह बहुत छोटे थे तभी उनके मां-बाप अलग हो गए। इसके बाद तो जैसे कादर खान पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बाद में उनकी मां की जबरदस्ती दूसरी शादी करा दी गई।

गरीबी और दुखों के चलते कादर खान ने स्कूल भी छोड़ दिया और स्लम (बस्ती) में ही एक मिल में काम करने लगे। लेकिन उनकी मां ने मनोबल बढ़ाया और पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी का नतीजा था कि कादर खान बाद में इंजिनियर बन गए और मुंबई के एक कॉलेज में इंजिनियरिंग के छात्रों को पढ़ाने लगे।

हालांकि कहीं न कहीं उनके अंदर ऐक्टिंग का कीड़ा जन्म से ही मौजूद था। वह कॉलेज में अक्सर नाटकों में भाग लिया करते थे। ऐसे ही एक नाटक में ऐक्टर दिलीप कुमार की नजर कादर खान पर पड़ी। दिलीप नाटक में कादर खान की ऐक्टिंग से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्हें अपनी फिल्म में साइन कर लिया। बस यहीं से उनकी किस्मत के दरवाजे खुल गए। कादर खान ने अपने करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और 1 हजार से भी ज्यादा फिल्मों के डायलॉग लिखे। लेकिन उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री को गहरा सदमा लगा जब 2018 में कादर खान इस दुनिया को छोड़कर चले गए। वह सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी नाम की एक बीमारी से ग्रस्त थे। उन्हें कनाडा में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अपनी बीमारी के चलते कई साल पहले कादर खान टोरंटो शिफ्ट हो गए थे।

इस बीमारी के चलते कादर खान का चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। 2015 से वह हमेशा ही वीलचेयर पर रहने लगे थे। इतना ही नहीं उनकी याददाश्त भी जाने लगी थी।