रायसीना डायलॉग में पीएम मोदी बोले – कोरोना से विश्व व्यवस्था में बदलाव का अवसर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में संयुक्त वैश्विक प्रयासों पर बल देते हुए मंगलवार को कहा कि जब तक सभी इसके खिलाफ एकजुट नहीं होंगे, तब तक मानवजाति इसे पराजित करने में समर्थ नहीं होगी। वार्षिक रायसीना डायलॉग को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कोविड-19 जैसी महामारी आखिरी बार लगभग एक शताब्दी पहले आई थी लेकिन इसके बावजूद आज पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है।

उन्होंने कहा कि भारत ने इन विषम परिस्थितियों के बीच अपने 130 करोड़ नागरिकों को कोविड-19 से बचाने का प्रयास किया और महामारी से मुकाबला करने में दूसरे देशों की भी सहायता की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया में एक ऐसी व्यवस्था विकसित करने का अवसर दिया जिससे मौजूदा समस्याओं और भावी चुनौतियों का निराकरण किया जा सके।

उन्होंने कहा, ”कोविड-19 महामारी ने हमें अवसर दिया है कि हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव कर सकें और अपनी सोच में परिवर्तन ला सकें। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे आज की समस्याओं और आगामी चुनौतियों का निराकरण हो सके।”

उन्होंने कहा, ”हम अच्छी तरह समझते हैं कि मानव जाति इस महामारी को तब तक नहीं हरा पाएगी, जब तक हम सभी इसके खिलाफ एकजुट नहीं हो जाते। इसलिए कई बाधाओं के बावजूद हमने 80 से अधिक देशों को कोविड-19 रोधी टीके उपलब्ध कराए।” उन्होंने कहा कि इस महामारी के खिलाफ जंग से मिले अनुभवों, विशेषज्ञता और संसाधनों को भारत दुनिया भर से साझा करता रहेगा।

पीएम मोदी ने सवाल किया कि हम मानवता के लिए खतरा बनी समस्याओं के लिए सहयोग क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि यदि हमारी सोच इस दिशा में होती तो एकदम अलग तरह के समाधान भी सामने आते। उन्होंने कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है पिछले दशकों की गलतियां और गलत काम भविष्य के लिए हमारी सोच को नहीं रोक सकते। पीएम मोदी ने कहा, ”कोरोना महामारी ने हमें एक मौका दिया है कि हम सोच बदलकर विश्व व्यवस्था को नया आकार दें। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जो आज की समस्याओं और कल की चुनौतियों का समाधान करें। हमें समूची मानवता के बारे में सोचना चाहिए न कि केवल अपने देश के बारे में। समूची मानवता को सोच और कार्यवाही के केंद्र बिंदू में रखा जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में भारत ने अपने सीमित संसाधनों से जितना हो सका विनम्रता के साथ मानवता की भलायी की है। चाहे वह दवा पहुंचाने की बात हो या खाद्यान या फिर अब वैक्सीन भारत ने अन्य देशों की मदद से हाथ पीछे नहीं खिंचा है। हमारी सोच स्पष्ट है कि महामारी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती और सबको उसका दंश झेलना पड़ रहा है। हमें पता है कि समूची मानवता का टीकाकरण एक बड़ी चुनौती है लेकिन उम्मीद और कोशिश भी बड़ी चीज है। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि हमारी सोच मानवता पर केन्द्रीत होनी चाहिए क्योंकि मनुष्य के रहने के लिए पृथ्वी ही एकमात्र जगह है इसलिए सभी को परस्पर सहयोग से रहते हुए यह याद रखना होगा कि हम केवल पृथ्वी के ट्रस्टी हैं और हमें इसे आने वाली पीढियों को सौंपना होगा।