एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। इसको लेकर इसी सप्ताह जीएसटी काउंसिल की बैठक लखनऊ में होगी। बैठक में कोरोना उपचार से जुड़े उपकरणों व दवाइयों पर भी टैक्स से रियायत भी दी जा सकती है। वहीं आठ मिलियन से ज्यादा फर्म के लिए आधार अनिवार्य किया जा सकता है। केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष यह मामला 17 सितंबर को लाया जाएगा।
जीएसटी काउंसिल ने अभी तक उस तारीख की घोषणा नहीं की है जब से पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लागू होगा। नाम न लेने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व को देखते हुए जीएसएटी काउंसिल के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों से राज्य व केंद्र सरकार को 5.55 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसमें पेट्रोल व डीजल से ही सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिला। एक समान जीएसटी से पेट्रोल व डीजल के दामों में भारी कमी आएगी। वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल 101.19 तो डीजल 88.62 रुपये में बिक रहा है। पेट्रोल पर केंद्र सरकार 32 प्रतिशत तो राज्य सरकार 23.07 प्रतिशत टैक्स ले रही है। वहीं डीजल पर केंद्र 35 तो राज्य सरकारें 14 प्रतिशत से ज्यादा का टैक्स वसूल कर रही हैं।
2020 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। आंकड़ों के अनुसार 2020-21 में केंद्र सरकार को जहां 3,71,726 करोड़ तो वहीं राज्य सरकार को 2,02,937 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व को देखते हुए जीएसटी काउंसिल सभी पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाएगी। हालांकि, एक से दो पदार्थों जैसे- प्राकृतिक गैस व विमान ईंधन को इस दायरे में लाया जा सकता है।