पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को राज्य विधानसभा सत्र का आयोजन सात मार्च से करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रस्ताव को लौटा दिया है। राज्यपाल ने कहा कि प्रस्ताव में संवैधानिक नियमों का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने इस बात की जानकारी ट्विटर पर साझा की।
राज्यपाल ने कहा, विधानसभा सत्र सात मार्च से कराने की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सिफारिश को संवैधानिक अनुपालन के लिए वापस करना पड़ा। सरकार विधानसभा सत्र का आह्वान कैबिनेट की ओर से बनाए गए प्रस्ताव पर करती है जो संविधान की धारा 166(3) के तहत नियमों पर आधारित होता है।
धनखड़ ने उस पत्र की प्रति भी अपने ट्वीट में संलग्न की जो उन्होंने प्रस्ताव को वापस भेजते हुए सरकार को लिखा है। राज्यपाल ने कहा कि संवैधानिक अनुपालन के लिए प्रस्ताव की फाइल को वापस भेजना एकमात्र विकल्प था। बता दें कि बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच लंबे समय से अनबन चल रही है।
राज्यपाल के इस कदम पर निराशा व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि धनखड़ पहले भी जन प्रतिनिधियों की ओर से अनुमोदित फाइलों को रोके रहे हैं। विधानसभा सत्र के लिए प्रस्ताव को लौटाना प्रशासनिक काम में बाधा पहुंचाने के लिए एक नया कदम है।
रॉय ने आगे कहा कि राज्यपाल एक विधेयक को भी रोके हुए हैं जो बल्ली नगर पालिका के गठन को लेकर है। टीएमसी प्रवक्ता ने आगे कहा कि संसदीय कार्य मंत्री द्वारा उचित समर्थन के साथ मुख्यमंत्री ने उन्हें सदन बुलाने की सिफारिश की थी। उन्होंने कैसे अनुमान लगाया कि इसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं थी?
इससे पहले बीते शनिवार को राज्यपाल धनखड़ ने राज्य सरकार की सिफारिश पर विधानसभा का सत्रावसान कर दिया था। इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सवाल उठाए थे। स्टालिन की टिप्पणी पर राज्यपाल धनखड़ ने कहा था कि यह फैसला राज्य सरकार के अनुरोध पर ही लिया गया था।