कृषि कानूनों पर नरेंद्र सिंह तोमर का बड़ा बयान, संसद के अंदर और बाहर किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बजट पेश करते हुए इसे निराला बताया। कहा कि ऐसा बजट पहले कभी नहीं पेश हुआ। इसके बाद आज से उम्मीद लगाई जा रही है कि संसद के दोनों सदनों में माहौल गर्म रहेगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष कृषि कानूनों और किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शनों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।

संसद का बजट सत्र 29 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ, हालांकि, विपक्ष ने उन किसानों को समर्थन देने के लिए संबोधन का बहिष्कार किया, जो नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की एक व्यय योजना का अनावरण किया और कहा कि अगर वह अब खर्च नहीं करती तो देश की वृद्धि में देरी होगी। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट 2021 अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।

  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लोकसभा में कहा कि संसद के अंदर और बाहर किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है।

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  • हंगामे के बाद लोकसभा शाम 7 बजे तक के लिए स्थगित की गई।

-राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार सुबह 9 बजे तक स्थगित।

-राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर स्थगित। अब 12.30 बजे तक हुई स्थगित।

-किसानों के मुद्दे पर चर्चा को अड़े विपक्ष का हंगामा। राज्यसभा की कार्यवाही एक बार फिर स्थगित। अब 11.30 बजे तक हुई स्थगित।

-राज्यसभा सदन को 10:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बता दें कि सीतारमण ने संसद में बजट पेश करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार अपना हिसाब-किताब स्वच्छ करने के अवसर से नहीं चूकी है। उन्होंने कहा, ‘मैंने इसे जुलाई 2019 में शुरू किया, फरवरी 2020 में भी जारी रखा और हमने इस बार हिसाब-किताब और पारदर्शी बनाया है। कुछ भी छिपाया नहीं गया है। हम साफ-साफ दिखा रहे हैं कि पैसे कहां खर्च हो रहे हैं। एफसीआई को दिए गए पैसे का भी वर्णन किया गया है। अत: सरकार के राजस्व और व्यय के ब्यौरों का लेखा-जोखा अब अधिक खुला व पारदर्शी हो गया है।’

नए कृषि कानून के विरोध में किसानों के सड़कों पर उतरने के बाद सरकार ने इस मसले को लेकर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ 11 दौर की वार्ताएं की हैं, मगर अब तक मसले को कोई नतीजा नहीं निकला है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से डेरा डाले किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों की अगुवाई करने वाले संगठनों को तीनों कानून के अमल पर 18 महीने के लिए रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही, कानून व किसान आंदोलन से जुड़े मसलों का समाधान करने के लिए किसानों व सरकार के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया गया है।