प्राइवेटाइजेशन को लेकर केंद्र पर भड़के राहुल गांधी – कहा, 70 साल में बनाईं देश की बेशकीमती धरोहरें बेच रही केंद्र सरकार

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Rahul Gandhi attacks pm modi

सरकारी कंपनियों के निजीकरण के फैसले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि 70 साल में बनाई गईं देश की बेशकीमती धरोहरों को मोदी सरकार चंद उद्योगपतियों को बेच रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था बर्बाद कर चुकी सरकार अपने कुप्रबंधन को छिपाने और पैसे जुटाने के लिए देश में तीन-चार कंपनियों का एकाधिकार स्थापित करना चाहती है।

सरकारी कंपनियों के निजीकरण से आरक्षण व्यवस्था भी होगी प्रभावित

उन्होंने आशंका जताई कि बड़ी सरकारी कंपनियों के निजीकरण के फैसले से आरक्षण व्यवस्था प्रभावित होगी और रोजगार का बड़ा संकट पैदा होगा। निजीकरण का विरोध करने के लिए उन्होंने विपक्ष से साथ आने की उम्मीद जताई और युवाओं व कर्मचारी संगठनों से इसका मुखर विरोध करने की अपील की। कांग्रेस मुख्यालय में विशेष प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने वित्त मंत्री द्वारा सोमवार को की गई मौद्रिकरण योजना की घोषणा का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा कह रही थी कि 70 साल में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। लेकिन पिछले 70 साल में कांग्रेस की सरकारों ने देश की जनता के पैसे से जो बेशकीमती सरकारी संपत्तियां बनाई हैं, उसे आज मोदी सरकार अपने मित्र उद्योगपतियों को बेच रही है।

यह सरकारी कंपनियों का मौद्रीकरण नहीं, इन्हें चंद निजी उद्योगपतियों को बेचा जा रहा

निजीकरण नहीं होने के सरकार के तर्क को खारिज करते हुए राहुल ने कहा कि जब 40 साल के लिए कंपनियों का मालिकाना हक ट्रांसफर कर दिया जाएगा तो पूरा खेल ही बदल जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे, बिजली ट्रांसमिशन लाइन, गैस पाइपलाइन, बिजली प्लांट, संचार और वेयर हाउ¨सग जैसी बड़ी राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचे जाने की घोषणा पर हैरत जाहिर करते हुए राहुल ने कहा कि इन्हें बनाने में जनता के लाखों करोड़ रुपये लगे हैं जिन्हें महज छह लाख करोड़ रुपये में बेचा जा रहा है। सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि यह देश की पूंजी और युवाओं के भविष्य पर हमला है।

राजनीतिक दलों और कर्मचारी संगठनों से मुखर विरोध करने की अपील की

साथ ही छोटे और मध्यम उद्योग की हत्या कर देश में चंद कंपनियों का एकाधिकार कायम किया जा रहा है और सबको मालूम है कि ये कंपनियां कौन-कौन सी हैं। राहुल ने कहा कि हर राष्ट्रवादी को सरकार के इस फैसले का विरोध करना चाहिए। सवालों के जवाब में राहुल ने कहा कि कांग्रेस निजीकरण के खिलाफ नहीं है मगर पार्टी का स्पष्ट मानना है कि रणनीतिक क्षेत्र रक्षा, रेलवे, राजमार्ग आदि से जुड़ी सरकारी कंपनियों को नहीं बेचा जाना चाहिए। इसी तरह जहां एकाधिकार की आशंका है, उस सेक्टर में भी सरकारी कंपनियों को नहीं बेचा जाए।

पी चिदंबरम ने कहा, बिना लक्ष्य के यह महासेल

राहुल के साथ प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पूर्व वित्त मंत्री ने पी. चिदंबरम ने कहा कि यह बड़ा स्कैंडल है और इतना अहम फैसला करते हुए किसी हितधारक से बात नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम सरकारी कंपनियों की महासेल है जिसका कोई लक्ष्य नहीं है। चिदंबरम ने कहा कि यदि सौ लाख करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे की प्रधानमंत्री की घोषणा के लिए सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा है तो फिर चार साल में छह लाख करोड़ की मामूली रकम पर इन्हें बेचने का तर्क समझ से परे है।