वित्त वर्ष 2021-22 : बदल गए हैं आयकर नियम, आप पर पड़ेगा सीधे असर, देरी से रिटर्न दाखिल करने का अब सिर्फ एक मौका

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Income tax
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नया वित्त वर्ष शुरू हो चुका है। वित्त वर्ष में परिवर्तन के साथ ही कई आयकर नियम भी बदल गए हैं। इनके तहत ईपीएफ में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर अतिरिक्त निवेश के ब्याज पर टैक्स चुकाना होगा।

रिटर्न भरने के समय में तीन महीने की कटौती के साथ यूलिप को भी छूट के दायरे से बाहर कर दिया गया है। इन बदलावों का सीधा असर अब करदाताओं पर पड़ेगा।

अब देरी से आईटीआर भरने के लिए एक मौका ही मिलेगा। पहले 31 जुलाई के बाद एवं 31 दिसंबर तक रिटर्न भरने पर 5,000 रुपये और 31 मार्च तक के लिए 10,000 रुपये जुर्माना लगता था। लेकिन, अब 31 दिसंबर तक ही रिटर्न भर सकेंगे। 

इसका मतलब करदाताओं को पिछले वित्त वर्ष का रिटर्न भरने के लिए चालू आकलन वर्ष में मार्च तक समय नहीं मिलेगा। दिसंबर तक ही 5,000 रुपये का जुर्माना देकर रिटर्न भर सकेंगे।

2020-21 से करदाताओं को पुरानी और नई कर व्यवस्था में किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जा रहा है। नौकरीपेशा-पेंशनभोगी, जिसका बिजनेस से कोई आय नहीं है तो वह हर साल नई या पुरानी कर व्यवस्था में एक को चुन सकता है। लेकिन, कमाई का स्रोत कोई बिजनेस है तो नई व्यवस्था चुनने के बाद सिर्फ एक ही बार पुरानी व्यवस्था में लौट सकते हैं। पुरानी व्यवस्था में आयकर कानून की धारा 80सी, 80डी, एचआरए समेत कई प्रकार के छूट मिलते हैं।

स्लैब के तहत आप पर असर
कमाई/कर व्यवस्था पुरानी नई
2.5 लाख 00 00
2.5 से 5 लाख 5% 5%
5 से 7.5 लाख 20% 10%
7.5 से 10 लाख 20% 15%
10 से 12.5 लाख 30% 20%
12 से 15 लाख 30% 25%
15 लाख से ज्यादा 30% 30% (इन दरों पर सरचार्ज एवं उपकर लागू)

नई व्यवस्था में आयकर कानून, 1961 के तहत मिलने वाली तमाम छूट और कटौतियां छोड़नी होंगी।

50 लाख रुपये से कम के टैक्स चोरी मामलों में पुराने रिटर्न खोलने का समय 6 साल से 3 साल कर दिया गया है। 50 लाख या अधिक की चोरी पर 10 साल में दोबारा खोला जा सकेगा।

अगर आप ईपीएफ खाते में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करते हैं तो अतिरिक्त निवेश के ब्याज पर टैक्स का भुगतान करना होगा क्योंकि उसमें नियोक्ता भी अपनी ओर से योगदान देता है। अगर नियोक्ता योगदान नहीं करता है तो आप 5 लाख रुपये तक के कुल ईपीएफ निवेश से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट पा सकते हैं।

नए नियम के तहत सालाना 2.5 लाख से ज्यादा प्रीमियम वाले यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान (यूलिप) पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी। इसकी मैच्योरिटी राशि पर इक्विटी म्यूचुअल फंड के बराबर 10% टैक्स देना होगा। नया नियम 1 फरवरी 2021 के बाद जारी यूलिप पर लागू होगा। हालांकि, मैच्योरिटी राशि पर तभी छूट मिलेगी, जब प्रीमियम बीमित राशि का 10% से ज्यादा न हो।

कारोबार से जुड़े लोगों को नई कर व्यवस्था में जाने के बाद पुराने में लौटने का मौका नहीं मिलेगा। इसलिए नई व्यवस्था में जाने से पहले लॉन्ग टर्म सेविंग की गणना जरूर कर लें। आईटीआर भरने का समय तीन महीने घटाया गया है। इसलिए जल्द रिटर्न भरें ताकि भूल सुधार का मौका मिल सके।