दुकानों में लौटी रौनक, देशभर में 72 हजार करोड़ रुपये का हुआ कारोबार

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कोरोना काल में दुकानों पर कम ग्राहकों के पहुंचने से सन्नाटा पसरा हुआ था लेकिन दीवाली ने कारोबारियों के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट ला दिया. कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जानकारी दी कि देशभर में करीब 72 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. यही नहीं इस साल की दीवाली इस मायने में भी खास है क्योंकि देश ने चीन को भी गहरी आर्थिक शिकस्त दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकल फॉर वोकल का आह्वान किए जाने के बाद व्यापारियों ने चीन को 40 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. इस आंकड़ा ने यह साबित कर दिया कि भारत के लोगों ने उत्सवों में इस्तेमाल होने वाले सामानों की खरीद बिक्री के मामले में कोरोना और चीन दोनों को पटखनी दे दी है.

देश के 20 ऐसे शहर है जो सप्लाई चैन के रूप में प्रमुख वितरण केंद्र के रूप में स्थापित है. इन शहरों से इकट्ठा किए आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 72 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है. वहीं चीन को भी 40 हजार करोड़ रुपये का भारी व्यापार घाटा की चोट पहुंचाया गया है, जिन 20 शहरों से आंकड़े इकट्ठा किए गए वे हैं- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, नागपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, रांची, भोपाल, लखनऊ, कानपुर, नोएडा, जम्मू, अहमदाबाद, सूरत, कोचीन, जयपुर, चंडीगढ़. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने दावा किया कि देशभर में हुए कारोबार का आंकड़ा और बढ़ सकता था अगर दिल्ली एनसीआर में एक मजबूत और प्रभावी पटाखा नीति को लागू किया जाता. कैट ने कहा कि हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से छोटे, बड़े और सूक्ष्म स्तर के पटाखा निर्माताओं और विक्रेताओं को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का कारोबारी नुकसान हुआ.

देशभर के 20 शहरों से लिए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सामान, रसोई के सामान, उपहार की वस्तुएं, मिठाई-नमकीन, घर के सामान,बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियाँ , फर्नीचर,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट का सामान, मिट्टी के दिए सहित दीवाली पूजा के सामान, सजावटी सामान, हस्तकला की वस्तुएं, वस्त्र, घर द्वार पर लगाने वाले शुभ-लाभ, ओम, देवी लक्ष्मी के चरण सहित अनेक त्यौहारी सीजन वस्तुओं की बिक्री बहुत अच्छी रही. इस साल पहली बार दीवाली पर बड़ी संख्या में कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और खासकर कुम्हारों को सीधे बाजार से जोड़ने का प्रयास किया गया था. जिससे ना सिर्फ उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ी बल्कि उन्हें मोटा मुनाफा भी हुआ. लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत की ओर देश के बढ़ते कदम ने चीन को भी कड़ा संदेश दे दिया है कि वह भारत को डंपिंग यार्ड नहीं समझे. कैट ने आह्वान के बाद देशभर के व्यापारियों ने साल दिसंबर 2021 तक चीन से 1 लाख करोड़ रुपये का कम आयात कम करने का संकल्प लिया है.